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०१-९,२,१-९]
उज्झाकण्डं-सत्ततीसमो संधि [ १२३ . [३७. सत्ततीसमो संधि] चन्दणहि अलजिंय एम पगजिय 'मरु मरु भूयहुँ देमि वलि' णिय रूवें वडिय रंण-रसें अडिय रावण-रामहुँ णाइँ कलि ॥
पुणु पुणु वि पवडिय किलिकिलन्ति जालावलि-जाला-सय मुअन्ति ॥ १ भय-भीसण कोवाणल-सणाह णं धरऍ समुब्भिय पवर वाह ॥ २ णह-सरि-रवि-कमलहों कारणत्थि अहवइ णं अब्भुद्धारणत्थि ॥३ णं घुसलइ अब्भ-चिरिडिहिल्ल तारा-वुव्वुव-सर्य-विद्भिरिल्लु ॥४ ससि-लोणिय-पिण्डउँ लेवि धाइ गह-डिम्भहीं पीहउ देइ णाई ॥५ अहवइ किं वहुणा वित्थरेण णहयल-सिल गेण्हइ सिरेण ॥ ६ णं हरि-वल-मोत्तिय-कारणेण महि-गयण-सिप्पि फोडइ खणेण ॥ ७ वलएवें वुच्चइ 'वच्छ वच्छ तुहुँ वहुँयहें चरियइँ पेच्छ पेच्छ' ॥ ८
॥ घत्ता॥ चन्दणहि पजम्पिय तिणु वि ण कम्पिय 'लइउ खग्गु हउ पुत्तु जिह । तिण्णि वि खजन्तइँ मारिजन्त. रक्खेजहों अप्पाणु तिह' ॥९।
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वयणेण तेण असुहावणेण करवालु पदरिसिउ महुमहेण ॥ १ दढ-कढिण-कढोरुप्पीलणेण अङ्गुलि-अङ्गुट्ठावीलणेण ॥२ तं मण्डलग्गु थरहरइ केम भत्तार-भएं सुकलत्तु जेम ॥३ अणवरय-मैउज्झरें और-णिसुम्भे तहिँ दारिजन्तें गइन्द-कुम्भे ॥ ४ जो धारहिं मोत्तियणियरु लग्गु पासेव-फुलिङ्ग वहु व वलग्गु ॥ ५ तं तेहउ खग्गु लएवि तेण विज्जाहरि पभणिय लक्खणेण ॥ ६ 'जें लइउ सीसु तुह णन्दणासु करवालु एउ तं सूरहासु ॥ ७ जइ अस्थि को वि रण-भर-समत्थु तहों सवहाँ उब्भिउ धम्म-हत्थु ॥८ खर-घरिणिऍ वुत्तु'ण होइ कज्जु को वारइ मारइ मई मि अज्जु' ॥ ९ । • 1. 1 P s चंदगहिं, A चंदणहे. 2 A भूयहं. 3 P S रणरसि, A रणे रसि यड्डिय. 4 P गिलिगिलंति, गिलिगिलंतु. 5A °णस्थे. 6 SA °णस्थे. 7 PS °डिहिल्ल, A विरिडिहिलु. 8A चिड्डिरिल्लु. 9 A °पिंड व लेइ. 10 PS पीहिउ. 11 P 3°णाइ, A नाइ. 12 P omits this pāda. 13 P वहुअहिं.
2. 1 s कढोरकरपीलणेण. 2 P णरे, गरि. 3 P गइंदे, 8 गइंदि. 4 PS भारहिं. 5A पासेयपुडिंगोहु. 6 P S लयउ.7 PS मइ वि, A मई मि.
[१]१ दघि. २ विक्षिप्तः. [२] १ नव-तरुणि जेम. २ मदयुक्त नरें.
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