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१२२] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
[क०१४,९-१४:१५-११ जा हंस-वंस-चरवीण-सर मर्ह-वण्ण महा-घण-छाय-धर ॥ ९ सुह-भमर-णाहि-सिर-भमर-थण(१) सा वहु-सुय वहु-धण बहु-सयण ॥ १० जहें वामएँ करयलें होन्ति सय मीणारविन्द-विस-दाम-धय ॥ ११ गोउरु घर गिरिवर अहव सिल सु-पसत्थ स-लक्खण सा महिल ॥ १२ । चक्कस-कुण्डल-उद्धरिह रोमावलि वलिय भुयङ्गु जिह ॥ १३ अद्धेन्दु-णिडालें सुन्दरेंण मुत्ताहल-सम-दन्तन्तरेणं ॥ १४
॥ घत्ता ॥ आऍहिँ लक्खणेहिँ सामुद्दऍ वणि[य] सुणिजइ । चक्काहिवाँ तिय चक्कवइ पुत्तु उप्पजइ ॥ १५
[१५] वहु राहव एह अलक्खणिय हउँ भणमि ण लक्खणेण भणिय ॥१ जबोरु-करेहिँ संमंसलिय चल-लोयण गमणुत्तावलिय ॥२ कुम्मुण्णय-पय विसमङ्गुलिय धुर्य-कविल-केसि खरि पङ्गुलिय(?) ॥३
सबङ्ग-समुट्ठिय-रोम-रइ तह पुत्तु वि भत्तारु वि मरइ ॥ ४ 1 कडि-लञ्छण भउँहावलि-मिलिय सा देव णिरुत्तउ 'झेन्दुलिय ॥५
दालिदिणि तित्तिर-लोयणिय पारेक्यच्छि जण-भोजणिय ॥ ६ विरसँउह-दिहि विरसंउह-सर सा दुक्खहुँ भायण होइ पर ॥ ७ णासग्गे थोरें" मन्थरण सौ लञ्जिय किं वहु-वित्थरेण ॥ ८
कडि-चिहुर-णाहि(?) मुंह-मासुरिय सा रक्खसि वहु-भय-भासुरिय ॥ ९ 20 कई-अङ्गिय" मत्त-गइन्द-छवि हउँ एहिय परिणमि कण्ण णवि ॥१०
॥ धत्ता ॥ पभणइ चन्दणहि
किं णियय-सहावें लज्जमि । जैइ हउँ णिसियरिय तो पैइ मि अज्जु स इ. भु अमि' ॥ ११
8A वहु. 9 A वणभुवसिहर. 10 P भुअंग, S भुयंगि. 11 P S A वणि. ___ 15. 1s वरमि. 2 P S जंघोरुअ. 3 A धुव.. 4 s खर. 5 s झिंडिलिय, A झिंदुलिय. 6 P पारा', s पावयच्छि . 7 P जय', 8 जयवहु. 8 A °उहं. 9 8 उहं, A उहु. 10s दुक्खहो, A दुक्खहं. 11 A थोवें मच्छरेण. 12 s omits this pāda.. 13 PS णाहिं. 14 P मुहे, s मुहि. 15 A भासुरिय. 16 P कडू, चडु. 17 A अंगि-पमत्त. 18 P जइ यहुँ, s जइयहु. 19 P पई मि, A पई वि.
४ वृषभ. - [१५] १ एषा वधू. २ अतिस्थूला. ३ पुंश्चली. ४ अतिदीर्घेण. ५ एषाऽहं चेत् राक्षसी.
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