SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 162
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ क. १२, ९, १३, १-९,१४,१-.] उज्झाकण्डं-छत्तीसमो सोध । १२१ ॥ घत्ता॥ करयलु दिण्णु मुहें किय वङ्क भउँह सिरु चालिउ । 'सुन्दर ण होइ वहु' सोमित्तिहें वयणु णिहालिउ ॥ ९ [१३] जो परवइ अइ-सम्माण-करु सो पत्तिय अत्थ-समत्थ-हरु ॥ १ जो होई उवायणे वच्छलउ सो पत्तिय विसहरु केवलउ ॥ २ जो मित्तु अकारण एइ घरु । सो पंत्तिय दुट्ठ कलत्त-हरु ॥ ३ 'जो पन्थिउ अलिय-सणेहियउ। सो पत्तिय चोरु अणेहियंउ ॥४ जो णरु अत्थक्कएँ लल्लि-कर सो सत्त णिरुत्तउ जीव-हरु ॥५ जा कामिणि कवड-चाडु कुणइ सा पत्तिय सिर-कमलु वि लुगइ ॥ ६ ॥ जा कुलवहु सेवहेहिँ ववहरइ सा पत्तिय विरुय-सयइँ करई ॥ ७ जा कण्ण होवि पर-णरु वरइ सा किं वड्डन्ती परिहरइ ॥ ८ ॥ पत्ता ॥ आयहुँ अर्दुहु मि जो णरु मूढउ 'वीसम्भइ। लोइन धम्मु जिह छुडु विप्पउ पऍ पऍ लब्भइ ॥ ९ ॥ [१४] चिन्तेप्पिणु थेरासण-मुहेण सोमित्ति वुत्तु सीराउहेंण ॥ १ 'महु अत्थि भज सुमणोहरिय लइ लक्खण वहु लक्खण-भरिय' ॥२ जं एव समासऍ अक्खियउ कण्हेण वि मणे उवलक्खियउ॥३ 'हउँ लेमि कुमारि स-लक्खणिय जा आगमें सामुद्दऍ भणिय ॥ ४ ॥ जबोरु-अहङ्गय वट्ट-थण दीहर-कर-णक्खङ्गुलि-णयण ॥ ५ रत्तहि गइन्द-णिरिक्खणिय चामीयर-वण्ण सपुजणिय ॥ ६ जा उण्णय णासे णिला. तिय सा होइ ति-पुत्तहुँ मायरिय ॥७ कार्यविस-गग्गर तावसिय सम-चलणङ्गुलि अचिराउसिय ॥ ८ 13 1 P पत्तिए, s येत्तिय. 2 A भोइ. 3 s येत्तिय. 4 s मित्तिय. 5 PS दुटु. 6A सणेहवउ. 7 A अणेहमउ. 8 P S करइ, A कुणई. 9 P S सिरकमलइ. 10 P A लुणइं. 11A सम्वहहिं ववरइ. 12 s अकजसइं. 13 P A करइं. 14 P अट्टहं, भट्टह. 15 A मूढउ णरु. 16 P वीसंभवइ, A वेसंभइ..17 P °घेप्पड़, s घिप्पइ. • 14. 14 थेरासणु. 2 P अक्खियउं. 3 P सुअंगइ, s सुयंगइ, A अहंगए. 4 A रत्तउंहि. 5s समुज्जणिय. 6 P कार्यवि, s कायंखि.7 A °गुलिय चिरा. . . [१३] १ अतिदातव्ये. २ विश्वसति. [१४] १ कमलमुखेण. २ सामुद्रके शास्त्रे यादृशी दृष्टा. ३ काकवत् पादौ स्वरश्च. स. प.च. १६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy