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________________ १२० ] सयम्भुकिउ पउमचरिउ एण जि असिवरेंण सहुँ वंसत्थ 15 • जं दिट्ठ वणन्तरे वे' वि पर आयामिय विरह - महाभर्डेण पुलइज्जइ पासेइज्जइ वि मुच्छिज्जइ उम्मुच्छिज्जइ वि 'वरि एउ रूड व संघरमि 10 पुणु जामि एत्थु उम्वर-भवणु हियइच्छिउ तक्खणे रूप किउ गय तहिँ जहिँ तिणि वि जणइँ वर्णे पभणइ जणय-सुय जं कान्तरि ॥ घत्ता ॥ 'णियमत्थहों कुले - पांयारहों।. सिरु पाडिउ सम्बुकुमारहों ॥ ९ [११] रोवन्ती वडे मेलेहरेण 'कहि सुन्दरि रोवंहि काइँ तुहुँ किं ण वि हि वि पेरिब्भविय' 'हउँ पाविणि दीण दर्यावणिय 20 वर्णे भुल्ली णउ जाणमि दिसउ कहिँ गच्छमि चकवूहें पंडिय जइ अम्हहुँ उप्परि अस्थि मणु तं वयणु सुणेवि हलाउण Jain Education International [ क० १०, ९, ११, १-९, ११-८ गउ पुत्त - विओउ कोउं णवर ॥ १ णच्चाविय मयरद्धय-गर्डेण ॥ २ परितप्इ जरं-खेइज्जइ वि ॥ ३ रुणुरुrs वियाहिँ भज्जइ वि ॥ ४ सुर-सुन्दरु कण्ण-वेसु करमि ॥ ५ परिसइ अवसें एक जणु' ॥ ६ णं कामों को (?) जे तिं विहिउ ॥ ७ पुणु धाहहिँ रुणहिँ लग्ग खणें ॥ ८ ॥ घत्ता ॥ 'वल पेक्खु कण्ण किह रोवइ । तं दुक्खु णाइँ उक्कोवई ॥ ९ [१२] हक्कावि पुच्छिय हलहरेंण ॥ १ किं पडिउ किं पि णिय-सयण- दुहु ॥ २ तं वयणु सुणेवि वाल चविय ॥ ३ frica रुवमि वराय णिय ॥ ४ उ जाणमि कवणु देसु विसउ ॥ ५ महु पुणेंहिँ तुम्ह समावडिय ॥ ६ तो परिणउ वि वि एक्कु जणु' ॥ ७ किय णखच्छोडी राहवेण ॥ ८ 12s भायारहो, A आधारहो. 13 P संव, A वंस 11. 14 वेनि. 2s तासु 3Ps ऊरे खेजइ वि. 4 P उवसंघरे वि, 9 ओसंघ रिवि. 5 Ps करेवि 6s येत्थु यउ वरभुवणु, A तेत्थु उवरभवणु. 74 कोट्ठा जेम हिउ 8P अणह, s रुयर्णहं. 9 A कह. 10P कार्ले तरिउ, s कालिंतरिओ. 12. 1 A मणहरेण 284 रोवहिं. 3PSA काइ. 44 किंपि वि. 5 P चलिय. 6 P A हड, s हौ. 7 P भयावणिय 84 णिय वंधव 9 P जाणउ. 10 4 दोहि मि. T [१०] १ नियम -स्थस्य . २ कुल-प्राकारस्य. [ ११ ] १ उत्पादयति. [१२] १ शब्देन. २ केन परिभवं कृतं. ३ द्वौ मध्ये, For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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