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क०५९,९, १-९, १०, १-८]
उज्झाकण्डं-छत्तीसमो संधि [११९
॥ घत्ता ॥ हा हा दद्द विहि कहिँ णियउ पुत्तु कहाँ सङ्घमि । काइँ कियन्त किउ हा दइव कवण दिस लङ्घमि ॥ ९
[९] हा अज्जु अमङ्गलु विहिँ पुरहँ पायाललङ्क-लङ्काउरहँ ॥ १ . हा अज्जु दुक्खु वन्धव-जणहाँ हा अज्जु पडिय भुअ रावणों ॥ २ हा अज्जु खरों रोवावणउ . हा अज्जु रिउहुँ वद्धावणउ ॥ ३ .हा अज्जु फुट्ट कि ण जमाँ सिरु हा पुत्त णिवारिउ मई मि चिरु ॥ ४ तं खग्गु ण सावण्णहाँ णरहों पर होइ अद्ध-चक्केसरहों ॥ ५ किं तेण जि पाडिउ सिर-कमलु मणि-कुण्डल-मण्डिय-गण्डयल ॥ ६ ॥ पुणु पुणु दरिसावइ सुरयणहाँ रवि-हअवह-वरुण-पहञ्जणहाँ॥७ "अहों देवहाँ वालु ण रक्खियउ सबैहिँ मिलेवि उपेक्खियउ॥८
॥ घत्ता ॥ तुम्हइँ दोसु णवि महु दोसु जाहें मणु ताविउ मञ्छडु अण्ण-भवें मइँ अण्णु को वि संताविउ' ॥९. 15
[१०] एत्यन्तरें सोएं परियरिय णडि जिह तिह पुणु मच्छर-भरिय ॥१ णिड्डुरिय-णयपा विप्फुरिय-मुह विकराल णाइ खय-काल-छुह ॥ २ परिवद्धिय रवि-मण्डलें मिलिय जम-जीह जेम णहें किलिगिलिय ॥ ३ । 'जें घाइउ पुत्तु महुँ-त्तणउ खर-णन्दणु रावण-भायणउ ॥ ४ ॥ तहों जीविउ जइ ण अज्जु हरमि तो हुयवह-पुछे पईसरमि' ॥५ इय पइज करेप्पिणु चन्दणहि किर वलेवि पलोवइ जाम महि ॥६ लय-मण्डवें लक्खिय वे वि पर णं धरणिहें उब्भिय उभय कर ॥ ७. तहिँ एक्कु दिगु करवाल-भुई 'लइ एण जि हउ महु तणउ सुउ ॥८ 15 P णिभउं, s णिभउ. 6.9. 1 पुरहों, s पुरहु. 2 P °उरहो, 8 °उरहु. 3 A रामणहो. 4 s A रोवावणउं. 5s A बद्धावणउं. 6 PS मइ वि, A मई मि. 7 8 कुंडलु. 8 P SA मंडिउ. 9A मिलिवि वि. 10 PS उपेक्खिअउ, A उपेक्खियउ. 11 Ps तुम्हहु. 12 P ताविअउ, तावियउ, A ताविय. 13 P संताविअउ, संतावियउ. ___10. 1 P S परिहरिय. 2s मच्छरि. 3 P परिवट्टिय, परिवडिअ. 4 PS मंडल. 5 SA तणउं. 6 P राम्वण. 7 P S A भायणउं. 8 A पलोयइ.9 Ps उहय. 10 8 °भुओ. 11 s सुओ.
[९1१ अवगणितः.
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