________________
- ११६ ] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
(क०२,९१, १-९,81-८
॥ पत्ता ॥ कहिउ भमरु जिह ते वाएं सुट्ट सुअन्.. धाइउ महुमहणु "जिह गउ गणियारिहें गन्धे ॥९
[३] थोवन्तरें परिओसिय-मणेण वसत्थलु लक्खिउ लदखणेण ॥ १ णं सयण-विन्दु आवासियउ 'णं मयउलु वाहें तासियउ ॥२ अण्णेक्क-पासें कोड्डावणउ जम-जीह जेम भीसावणउ ॥ ३ गयणङ्गणे खग्गु णिहालियउ णाणाविह-कुसुमोमालियउ॥४
लक्खणों णाई अब्भुद्धरण णं सम्वुकुमारहाँ जमकरणु ॥ ५ 10 तं सूरहासु णामेण असि जसु तेएं णिय पह मुअइ ससि ॥ ६
जसु धारहों काल-दिहि वसइ जसु कालु कियन्तु वि जमु तसइ ॥७ तें हत्थु पसारेवि लइउ किह पर-णर-णिप्पसरु कलत्तु जिह ॥ ८
॥ घत्ता ॥ पुणु कीलन्तऍण
असिवत्तें हउ वंसत्थलु। 15 ताव समुच्छलेंवि सिरु पडिउ स-मउडु स-कुण्डलु ॥९
[४] जं दिट्ट विवाइउ सिर-कमलु सिरिवच्छे विहुणिउ भुय-जुअलु ॥ १ 'धिम्मइँ णिकारणु वहिउ णरु वत्तीस वि लक्खण-लक्ख धरु' ॥२ पुणु जाम णिहालइ वंस-वणु. णर-रुण्डु दिगु फैन्दन्त-तणु ॥ ३ ॥ तं पेक्वेवि चिन्तइ खग्गधरु 'थिउ माया-रूवें को वि णरु' ॥४ गउ एम भणेप्पिणु महुमहणु णिविसेण परायउ णिय-भवणु ॥ ५ राहवेण वुत्तु 'भो सुहड-ससि कहिँ लछ खग्गु कहिँ गयउ असि ॥६ तेण वि तं सयलु वि अक्खियउ वंसत्थलु जिह वणे लक्खियउ ॥ ७ जिह लद्ध खग्गु तं अतुल-वलु जिह खुडिउ कुमारहों सिर-कमलु ॥८ 10 P 3 णं गयवरु गयवरगंधे.
3. 1 A नं-मिअवलु वाहुत्तासियउ; P तासिअउं. 2 P कोडावणउ, 8A कोडावणउं. 3 SA भीसावणउं. 4 P णिहालियर्ड. 52 °मोमालियउं. 6 P A संव. 7A धारहिं. 8 P जं. 9 A तं. 10 PS असिवते. . 4. 1 PS विहुणिय. 28 धिधि. 3 A णि कारणे. 4 A प्फुटुंततणु. 5 PS A कहि. 6 P आसि. 7 P अक्खिभ. 8 P लक्खिभडं. [३] १ वंसवणं स्थलं. २ निःप्रतापस्य.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org