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क०१-९,२,१-४] . उज्झाकण्डं-छत्तीसमो संधि [ ११५ .
• [३६. छत्तीसमो संधि] रहु कोडविणउ मणि-रयण-सहासेंहिँ घडियउ। . गयणहों उच्छलेंवि णं दिणयर-सन्दणु पडियउ॥
तहिँ तेहऍ सुन्दरें सुप्पवहें आरण्ण-महागय-जुत्त-रहें ॥१ ॥ धुरें लक्खणु रहवर दासरहि सुर-लीलऍ पुणु विहरन्ति महि॥२ तं कण्हवण्ण-णइ मुऍवि गय . वण कहि मि णिहालिय मत्त गय ॥३ कत्थ वि पश्चाणण गिरि-गुहेंहिँ मुत्तावलि विक्खिरन्ति णहेहिं ॥४ कत्थ वि उड्डाविय सउर्ण-सय णं अडविहें उड्डेवि पाण गय ॥५ कत्थ वि कलाव णञ्चन्ति वणे णावइ णट्टावा जुवइ-जणें ॥ ६ ॥ कत्थ इ हरिणइँ भय-भीयाइँ संसारहों जिह पवइयाइँ॥७ कत्थ वि णाणाविह-रुक्ख-राइ णं महि-कुलवहुअहें रोम-राइ ॥ ८
॥ घत्ता ॥ तहों दण्डयवणों अग्गएँ दीसइ जलवाहिणि । णामें कोचणइ थिर-गमणं णाइँ वर-कामिणि ॥ ९
[२] कोश्चणइहें तीरेण संठियइँ लय-मण्डवें गम्पि परिट्ठियइँ ॥१ छुडु जे छुडु में सरयहाँ आगमणे सच्छाय महादुम जाय वणें ॥२ णव-लिणिहें कमलइँ विहसियइँ णं कामिणि-वयणइँ पहँसियइँ ॥ ३ धवलेण णिरन्तर-णिग्गऍण घण-कलसेंहिँ गयण-महग्गऍण ॥४ 20 अहिसिञ्चेवि तक्खणे वसुह-सिरि णं थविय अवाहिणि कुम्भइरि ॥५ तहिँ तेहएँ सरऍ सुहावणएँ परिभमइ जणदणु काणणऍ ॥६ कोवण्ड-सिलीमुह-गहिय-कर गज्जन्त-मत्त-मायङ्ग-धरु ॥ ७ वणे ताम सुअन्धु वाउ अइउ जो पारियाय-कुसुमब्भहिउ ॥८
1. s कोडावणउं, A कोडावणउं. 2 Ps गयणहं. 3 Ps महग्गय .. 4 PS विहरंत. 5 A इ everywhere. 6 P s A सवण. 7 PS पावइयाई. 8 Ps शामइ, A णामे. 9A °गमणा णइं.
2. 1s A omit, P superscribes. 2 s लिणिहि, A नलि णिहिं. 3 PS विह. सियांई, A वियसियई. 4 PS पहसियाई. 5A महागएण. 6A जवाणिभ. 7 PS कुंभयरि. 8 A कोवंडु. 9 PS °मभइउ. [१]१ वर्णानदी. २ मयूरा:. [२] १ कुम्भकारगिरि. २ वातः
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