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११४ ] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
[क० १५, १-१०,१६१-९
[१५] ताव विरुद्धएहिँ हक्कारिउ णरवइ णारएहिँ पच्चारिउ ॥ १ "मरु मरु संभरु दुच्चरियाई जाइँ आसि पइँ संचरियाई ॥२ . पञ्चसयइँ मुणिवरहुँ हयाई लइ अणुहुञ्जहि ताइँ दुहाई" ॥ ३ । एम भणेप्पिणु खग्गॅहिँ छिण्णंउ पुणु वाणेहिँ भल्लेहिं भिण्णउ ॥४
पुणु तिलु तिलु करवत्तेहिँ कप्पिउँ पुणु गिद्धहुँ सिव-साणहुँ अप्पिउ ॥ ५ पुणु पेल्लाविउ मग्ग-गइन्देहिँ पुणु वेदाविउ पण्णय-विन्देहिँ ॥६ पुणु खण्डिउ पुणु जन्ते छुहाविउ अश्रु सहासु वार पीलाविउ ॥ ७
दुक्खु दुक्खु पुणु कह वि किलेसहिं परिभमन्तु भव-जोणि-सहासेंहि ॥८ " एत्थु विहङ्गु जाउ णिय-काणणे एवहिं अच्छइ तुम्ह-घरङ्गणे ॥ ९
॥ घत्ता॥ ताव पक्खि मणे पच्छत्ताविउ 'किह मइँ सवण-सङ्ग संताविउ । एत्तिय-मत्तें अब्भुद्धरणउ महु मुयहाँ वि जिणवरु सरणउ' ॥ १०
[१६] 13 जं आयण्णिउ पक्खि-भवन्तर जाणइ-कन्तें पभणिउँ मुणिवरु ॥ १ _ 'तो वरि अम्हहुँ वयइँ चडावहु पंक्खिहें सुहय-पन्थु दरिसावहु' ॥ २
तं वलएवहाँ वयणु सुणेपिणु पश्चाणुबय उच्चारेण्पिणु ॥ ३ दिण्ण पडिच्छिय तिहि मि जणेहिं पुणु अहिणन्दिय एक्क-मणेहिं ॥४..
मुणिवर गय आयासहों जाहिँ लक्खणु भवणु पराइउ ताहिँ ॥ ५ 20 'राहव एउ काइँ अच्छरियउ जं मन्दिर णिय-रयणहिँ भरियउ॥६
तेण वि कहिउ सबु जं वित्तैउ 'म आहार-दाण-फलु पत्त' ॥७. तक्खणे पञ्चच्छरिउ पदरिसिउ "मेहेंहिँ जिह अणवरउ पंवरिसिउ ॥८
॥ घत्ता ॥ रामों वयणु सुणेवि अणन्तें गेहवि मणि-रयण वलवन्ते । 2" वड-पारोह-समेहिँ पचण्डेंहिँ रहवरु घडिउ स यं भु व-दण्डैहिँ ॥ ९
15. 1 PS पंचसयहं. 2 P छिनिउ, s छिन्नउ, A छिन्न. 3 P A भिण्णउं. 4 A कप्पिसं. 5 s कह व, A कहि मि. 6 PS A °किलेसहिं. 7 P A °मति, s मंतिं. 8 A अब्भुद्धरणउं.
16. 1 A आयण्णउं. 2 A फ्भणिउं. 3 PA चडावहुं. 4 PS A पंखिहे. 5 P तिहिजमिणेहिं corrected as तिहि मिजणेहिं, तिहिजमेणेहिं, A तिहि जमिणेहिं. 6 P A अच्छरिअउं. 7 P A भरिउं. 8 P A वित्तउं. 9 P पत्तउं, A पइ. 10 P A पदरिसिउं. 11 P मेहिहिं, s मेहिहि, A मेहहि. 12 Ps पव्वरिसिउ. [१५] १ सर्पसमूहै.
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