SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 153
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ११२] सयम्भुकिउ पउमचरिउ [क०१०,७-९,११,१-७,१२,१-९ जे वायरण-पुराणइँ जाणा, सिद्धन्तिय एकेक पहाणा ॥ ७ तें तेहा रिसि जन्तें छहाविय रसमसकसमसन्त पीलाविय ॥८ ॥ घत्ता ॥ पञ्च वि सय पीलाविय जाहिँ मुणिवर वेणि पराविय ताहिँ । । घोर-वीर-तवचरणु चरेप्पिणु आंतावणे तव-तवणु तवेप्पिणु ॥ ९ [११] केण वि ताम वुत्तु "मं पइसहाँ वेण्णि वि पाण लएप्पिणु णासहों ॥१ गुरु तुम्हारा आवइ पाविय राएं जन्तें छुवि पीलाविय" ॥२ तं णिसुणेवि एक्कु मुणि कुद्धउ णं खय-कालें कियन्तु विरुद्धउ ॥ ३ 10 घोरु रउह झाण आऊरिउ वउ सम्मत्तु सयलु संचूरिउ ॥४ अप्पाणेणप्पाणु विहत्तिउ तक्खणे छार-पुञ्ज परिअत्तिउ ॥ ५ जो कोवाणलु तेण विमुक्कउ गउ णयरहों सवडम्मुहु ढुक्कउ ॥ ६ ॥ घत्ता ॥ पण चाउद्दिसु संदीविउ स-धरु स-राउलु जालालीविउ । 15 जं जं कुम्भ-सहासेंहिँ घिप्पइ विहि-परिणामें जलु वि पलिप्पइ ॥ ७ [१२] पट्टणु दड्ड असेसु वि जाहिँ खल जम-जोह पराविय ताहिँ ॥१ जे तइलोकवि जिणेंवि समत्था असि-घण-सजल-णियल-विहत्था ॥ २ कक्कड-कविल-केस भीसावण काल-कियन्त-लील-दरिसावण ॥ ३ 10 कसण-सरीर वीर फुरियाधर पिङ्गल-णयण झसर-मोग्गर-धर ॥ ४ जीह-ललन्त दन्त-उद्दन्तुर उन्भड-वियड-दाढ भय-भासुर ॥ ५ जम-दूएहिँ तेहिं कन्दन्तउ णरवइ णिउ स-मन्ति स-कलत्तउ ॥ ६ गम्पिणु जमरायहाँ जाणाविउ "एण मुणिन्द-णिवह पीलाविउ" ॥७ तं णिसुणेप्पिणु कुइउ पयावइ ""तीहि मि दरिसावाँ गरुयावई" ॥८ ॥ घत्ता॥ पहु-आएसें दुण्णय-सामिणि घत्तिय छट्ठिहिँ पुढविहिँ पाविणि । जहिँ दुक्खइँ अइ-घोर-रउद्दइँ . णवराउसु वावीस-समुद्दइँ ॥९ 3 A धरेप्पिणु. 4 A अत्तावणे, 11. 1 PS वय.PS अप्पाणेण अ.3 Ps गय.4 P जे कुंभ. 5 PS सहावें. 12. 1A°संकल..2P सकलत्तउं.3P पीलाविउं. 4 PS तेहि मि. 5A छट्रम.6P पुढविहे, S पुढविहि. 25 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy