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क०८,२-१०,९,१-७,१०,१-६] उज्झाकण्डं-पञ्चतीसमो संधि [१११ मयवद्धणेण णिवहाँ बजरिया "तुह भण्डारू मुणिन्देहिँ हरियउ" ॥२ ते आलावें दण्डयराएं
हसियउ पुणु पुणु सीह-णिणाएं ॥३ "पत्तिय सेल-सिहरे सयवत्तइँ पत्तिय महियले गह-णक्खत्तइँ ॥ ४ पत्तिय विवरिये चन्द-दिवायर पत्तिय परिभमन्ति रयणायर ॥ ५ पत्तिय णहें हवन्ति कुलपव्वय पत्तिय एकहिँ मिलिय दिसा-गय ॥६ पत्तिय णउ चउवीस वि जिणवर पत्तिय णउ चकवइ ण कुलयर ॥ ७ पत्तिय णउ तेसहि पुराण . पञ्चेन्दियइँ ण पञ्च वि णाण ॥ ८ सोलह सग्ग भग्गइँ उत्पत्तिय मुणि चोरन्ति मन्ति में पत्तिय" ॥ ९
॥ घत्ता ॥ जं णरवइ वोल्लिउ कइवारें मन्तिउ मन्तु पुणु वि परिवारें। "लहु रिसि-रूउ एकु दरिसावहुँ पुणु महएवि-पासु वइसारहुँ ॥ १०
[९] अवसें रोसें पुर-परमेसरु मुणिवर घल्लेसइ रज्जेसरु” ॥ १ एम भणेवि पुणु वि कोकाविउ तक्खणे मुणिवर-वेसु धराविउ ॥२ तेण समाणउ जण-मण-भाविणि लग्ग वियाहिँ दुण्णय-सामिणि ॥.३ तो एत्थन्तरें गञ्जोलिय-तणु गउणिय-णिवों पासु मयवद्धणु ॥४ "णरवइ पेक्खु पेक्खु मुणि-कम्मइँ ढुक्कु पमाणों वोल्लिउ जं मइँ ॥५ मूढा.अवुह ण वुज्झहि अज्ज वि हिउ भण्डारु जाव हिय भज वि" ॥ ६
॥ पत्ता ॥ जाणन्तो वि तो वि मणे मूढउ णरवइ कोव-गइन्दारूढउ । दिण्णाणत्ती णरवर-विन्दहुँ धरियइँ पञ्च वि सयइँ मुणिन्दहुँ ॥ ७
[१०] पहु-आएसें धरिय भडारा जे पञ्चेन्दिय-पसर-णिवारा ॥१ जे कलि-कलुस-कसाय-वियारा जे संसार-घोर-उत्तारा ॥२ जे चारित्त-पुरहों पोगारा जे कम्मट्ठ-दुट्ठ-दणु-दारा ॥ ३ जे णीसङ्ग अणङ्ग-वियारा जे भवियायण-अब्भुद्धारा ॥४ जे सिव-सासय-सुह-हक्कारा जे गारव-पमाय-विणिवारा ॥५ जे दालिद्द-दुक्ख-खयकारा सिद्धि-वरङ्गण-पाण-पियारी ॥ ६ 8. 1 P बजरिभउं. 2 A मेरुसिहर. 3 A पुणु वि मन्तु. 4 5 वइसावहु, A वइसारहु. 9. 1 P पुणु वर, A मुणि घल्लेसइ पुणु. 2 A पणइ. 3 A कराविउ. 10. 1 PS उपगारा. 2 A भविभयणमणभुद्धारा. [८] १ पुत्रेण. २ पश्चिमे यदि उदयं स्यात्. ३ कृतादरेण (?). [१०] १ परोद्धरणे समर्थाः.
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