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क०४, १-९,५,१-८]
उज्झाकण्ड-पञ्चतीसमो संधि [१०२ '
[४] भणइ ति-णाण-पिण्ड-परमेसरु 'एहु विहङ्गु आसि रज्जेसरु ॥ १ पट्टणु दण्डाउरु भुञ्जन्तउ दण्डउ णामु वउद्भह भत्तउ ॥२ एक-दिवसें पारद्धिऍ चलियउ ताव तिकाल-जोगि मुणि मिलियउ ॥३ थिउ' अत्तावणे लम्विय-वाहउ अविचलु मेरु जेम दुग्गाहउ ॥ ४ ॥ तं पेक्खेंवि आरुट्ठ महलु “अवसु अज्जु अवसवणु अमङ्गलु"॥५ एम चवन्तें विसहरु घाऍवि • रोसें मुणिवर कण्ठे लाऍवि ॥ ६ गउ णिय-णयरु णराहिउ जाहिँ थिउ णीसङ्गु णिरोहें ताहिँ ॥ ७ "एंउ को वि फेडेसइ जइयहुँ लम्बिय हत्थुच्चायमि तइयहुँ” ॥ ८
॥धत्ता ॥ जावण्णेक-दिवसें पहु आवइ तं जे भडारउ तहिँ जे 'विहावइ । गल' भुअङ्गम-मंडउ णिवद्धउ कण्ठाहरणु णाई आइद्धउ ॥ ९
[५] जं अविचलु वि दिट्ठ मुणि-केसरि फेडेंवि विसहर-कण्ठा-मञ्जरि ॥१ वोल्लाविउ “वोल्लहि परमेसर तव-चरणेण काइँ तवणेसर ॥२ खणिउ सरीरु जीउ खण-मेत्तउ जो झायहि सो गयउ अतीतउ ॥३ तुहु मि खणिउ णऽज वि सिद्धत्तणु आयहाँ किं पमाणु किं लक्खणु" ॥ ४ सयल णिरत्थु वुत्तु जं राएं मुणिवरु चवि लग्गु णर्यवाएं ॥ ५ "जइ पुणु सो जे पक्खु वोल्लेवउ ता खण-सद्दु ण उच्चारेवउ ॥ ६ खणिउ खयार णयांरु वि होसइ खण-सदहाँ उच्चारु ण दीसइ ॥ ७ 23
॥ घत्ता ॥ अघडिउ अघडमाणु अघडन्तउ खेणिएं खणिउ खणन्तर-मेत्तउ । सुण्ण सुण्ण-वयणु सुण्णासणु सव्वु णिरत्थु वउद्धहुँ सासणु" ॥८
* 4. 1 A ठिउ. 2 A दुग्गाहउं. 3 P आरूढु, S आरुट्ट. 4 A महावलु. 5 A अवस. 6 PS मुणिवरु. 7 P हत्थु उच्चायमि, A हत्थुञ्चाएवि. 8 PS A गलइ. 9 A मउहु. 10 A आइउं.
5. 1 A अविओलु. 2 PS जं. 3 P गउ वि. 4 A अणिद्ध. 5A अणुराएं. 6 A खणिउं. 7s A खणिउं. 8 P °मेत्तउं. 9 P सुसासणु, सुण्णसणु.
[४] १ एष सर्पः. २ पश्यति. [५] १क्षणिकं (?).
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