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________________ १०४] सयम्भुकिउ पउमचरिउ सो रु देवत्तणु अहिलसइ जो तइयउ सिक्खाव धरइ 'अण्णु वि' सम्मत्त भारु वहइ जो चउर सिक्खावउ धरइ ' सो होइ तिलोयहाँ वैड्डिय 10 ऍड फलु सिक्खावऍ 'संथविऍ वरि खद्दु मंसु वरि मज्जु महु वरि जीविउ ग सरीरु व्हसिउ पुव्वण्हडे गण- गन्धव्वय हुँ सामाइड उadiसु स-भोयणु च सिक्खावयाइँ जो पालइ 15 tarves पियर - पियामहहुँ णिसि - भोयणु जेण ण परिहरिउ किमि - कीड - पयङ्ग-सयइँ असइ जो घइँ णिसि - भोयणु उम्मेहइ सुअर ण सुइण दिट्ठउ देखेइ 20 भोअणें मउणु चउत्थर पालइ परमेसरु सुड्डु एम कहइ सम्मत्तइँ को विको वि वयइँ तवचरणु लइज्जइ पत्थिर्वेण 6 [ क० ७, ७-१२, ८, १–९, ९, १-३ सोहम् वहुव-मझें रमइ ॥ ७ तर्वसिहि आहार दाएँ करइ ॥ ८ देवत्तणु देवलोऍ लहइ ॥ ९ सणासु करेणु पुणु मरई ॥ १० उ जम्मण - मरण- विओअ-भई ॥ ११ ॥ घत्ता ॥ पच्छिम-कालें अण्णु सल्लेहणु । सो इन्दहों इन्दत्तणु टालइ ॥ १२ [4] सुणु एवहिँ कहमि अणत्थमिऍ ॥ १ वरि अलिउ वयणु हिंसाऍ सहुँ ॥ २ यहिँ भोयणु अहिलसि ॥ ३ Jain Education International www मंझहर सव्वहुँ देवयहुँ ॥ ४ णिसि रक्खस-भूय-पेय- गहहुँ ॥ ५ भणु तेण काइँ ण समायरिउ ॥ ६ कुसरीर - कुजोणिहिँ सो वसइ ॥ ७ विमलत्तणु विमल-गोत्त लहइ' ॥ ८ ॥ घत्ता ॥ केण वि वोल्लि कों विण अक्खइ । सो सव - सास- गणु णिहालई' ॥ ९ [९] जो जं मग्गइ सो तं लहइ ॥ १ कवि गुण-गण-वयण रयण-सयइँ || २ वंसत्थल-णयर - णराहिण ॥ ३ 4 Ps°सयइ. 5 P करेइ. 6 A omits this portion of the pāda. 7Ps तवसिहु. 84 मि. 9 A वड्डिमउं. 10 A दुहु . 11 PA उपवास. 8.1 Ps संथवियए. 2 P अणत्थमियए, s अणथमियए, 3 P इसिउ, 4 लसिउ. 4 Ps पुरवहु . 5 P गंधव्वयाहु, गंधव्वयाहुं. 6 Ps मज्झष्णड सव्वहु देवयाहु, 4 मज्झष्णउं सव्वहं देवयहुं. 7PS °पिसाय° CP समाचरिडं, s समाचरिउ 9PS कुसरीरु. 10 A नउ महद्द. 11 Ps अक्खड़ 12 P s भोयणु. 9. 1A सब्बु 2 P एव, s येव. [७]१ अप्सरसोः २ धारयतीत्यर्थः ३ वृद्धिंगतः. [८] उन्मथ्नाति त्यजति. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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