SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 144
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ क०५, ६-९;६, १-८,७,१-६] उज्झाकण्डं-चउतीसमो संधि [१०३ जो घई तं जोणि चारु रमइ सो पङ्कएँ भमरु जेम मरइ ॥६ जो करइ णिवित्ति परिग्गहहाँ सो मोक्खहाँ जाइ सुहावहहाँ ॥ ७ जो घई अविअण्हु परिग्गहों सो जाइ पुरहों तमतमपहहों ॥ ८ ॥ घत्ता ॥ अहवइ णिणिजइ केत्तिउ एकेकहों वयहाँ फलु एत्तिउँ । । जो घइँ पञ्च वि धरइ वयाइँ तासु मोक्खु पुच्छिज्जइ काइँ ॥९ । ॥ फलु एत्तिउ पञ्च-महवयों सुणु एवहिँ पश्चाणुव्वयों ॥१ जो करइ णिरन्तर जीव-दया पविरलु असच्चु सच्चउ मि सया ॥२ 'किस हिंस अहिंस सउत्तरिय 'ते णरय-महाणइ-उत्तरिय ॥३ जे पर स-दार-संतुट्ठ-मण परहण-परणारी-परिहरण ॥४ अपरिग्गह-दाण-करण पुरिस ते होन्ति पुरन्दर-समसरिस ॥ ५ फलु एत्तिउ पश्चाणुव्वयहुँ सुणु एवहिँ तिहि मि गुणव्वयहुँ ॥ ६ 'दिस-पच्चक्खाणु पाण-वउ खल-संगहु जासु ण वड्डियउ ॥ ७ ॥ धत्ता ॥ • इय तिहिँ गुणवएहिँ गुणवन्तउ अच्छइ सग्गे सुहइँ भुञ्जन्तउ । जासुण तिहि मि मझें एकु वि गुणु तहों संसारो छेउ कहिं पुणु ॥८ 15 फलु एत्तिउ तिहि मि गुणव्वयहुँ सुणु एवहिँ चउ-सिक्खावयहुँ ॥ १ । जो पहिलउ सिक्खावउ धरइ जिणवरे तिकाल-वन्दण करइ ॥ २ ॥ सो णरु उप्पजइ जहिँ जे जहिँ वन्दिज्जइ लोऍहिँ तहिँ जे तहिँ ॥३ जो घ. पुणु विसयासत्त-मणु वरिसहों वि ण पेच्छइ जिण-भवणु ॥४ सो सावउ मज्झ ण सावयहुँ अणुहरइ णवर वण-सावयहुँ ॥ ५ जो वीयउ सिक्खावउ धरई "पोसह-उववास-सयइँ करइ ॥६ 4.A वारु. 5.P वणिजई, A निव्वणिजइ. 6 A जेत्तिउ.7 A पुणु. 6. 1 Ps °महन्वयाहुं. 25 सुणि. 3 P एवहि, s येवहि, A एव्वहिं. 4 PS पंचाणुव्वयाहु. 5A omits this pada. 6 P8 °परणारिपरीहरण. 7 s °माण. 8 F एवहि, येवहि, A एम्वहिं. 9A तिण्णि. 10 P S पवाण. 11 A वडिमउ..12 P गुणवएहिं. 13 Ps omit. 7. 1 Ps वरसयहो ण. 2 P धरेइ, A omits. 3 A omits this pada. [५] १ पने..२ सौख्यपथस्य. ३ अतृप्तः. ४ सर्वतात्पर्येण. . . [६] १ स्त्रोकासत्य. २ कृष( श)स्तोक हिंसा; स्तोक-परद्रव्याभिलाषी. ३ दिग्देस(श)योः प्रत्याख्यानम्. ४ भोगोभोगप्रमाणव्रत. ५ कुर्कट-मार्जारादि-दुष्य-नाम-संग्रहः अनर्थ दंडसयत्. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy