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________________ १०२] सयम्भुकिउ पउमचरिउ [क०३,५-९, ४, १-९,५,१-५ ऍहु जो दीसइ कुलिस-प्पहरणु सहसणयणु अइरावय-वाहणु.॥५ गिज्जइ किण्णर-मिहुण-सहा हिँ सुरवर जय भणन्ति 'चउपासेंहि ॥ ६ हाहा-हूहू-तुम्वुरु-णारा तेजा-तेण्णा जसु चक्कारा ॥ ७ चित्तङ्गो वि मुरव पंडिपेल्लइ रैम्भ तिलोत्तिम सइ उल्लइ ॥ ८ ॥ पत्ता ॥ अप्पर्ण असुर-सुरहुँ अब्भन्तरें मोक्खु जेम थिउ सव्वहुँ उप्परें । दीसई जसु एवहु पहुत्तणु पत्तु- फलेण केण इन्दत्तणु' ॥९ . [४] तं वयणु सुर्णेवि कुलभूसणेण कन्दप्प-दप्प-विद्धंसणेण ॥१ 10 'सुणु अक्खमि' 'वुच्चइ तेण वलु आयेण्णहि धम्मों तणउ फलु ॥२ महु मज्जु मंसु जो परिहरइ छज्जीव-णिकायहाँ दय करइ. ॥ ३ . पुणु पच्छइ सल्लेहणे मरइ *सो मोक्ख-महा-पुरे पइसरइ ॥४ जो घइँ दरिसावइ पाणिवह अण्णु वि महु-मंसहों तणिय कह ॥५ सो जोणी जोणि परिब्भमइ चउरासी लक्ख जाम कम ॥६ 1 ऍउ सुक्किय-दुक्किय कम्म-फलु सुर्ण एवहिँ सच्चों तणउ फलु ॥७ तुल-तोलिय महि स-महीहरिय स-सुरासुर स-घण स-सायरिय ॥८ ॥ घत्ता॥ वरुणु कुवेरु मेरु कइलासु वि तुल-तोलिउ तइलोक्कु असेसु वि॥ तो वि ण गरुवत्तणउ पगासिउ सच्चु स-उत्तरु सव्वहँ पासिउ ॥९ [५]. जो सच्चउ ण चवइ कापुरिसु सो जीवइ जणवऍ तिण-सरिसु ॥१ जो णरु पर-दव्वु ण अहिलसइ सो उत्तिम-सग्ग-लोऍ वसइ ॥२ जो घई रत्तिद्दिणु मूढ-मणु . चोरन्तु ण थक्का एक्कु खणु ॥ ३ सो हम्मइ छिज्जइ भिज्जइ वि कप्पिजइ सूले भरिजइ वि॥४ जो दुद्धरु वम्भचेरु धरइ तहाँ जमु आरुद्दउ किं करइ ।। ५ 2A वंकारा. 3 : जसु पेल्लई. 4 A omits this pada. 5 s अप्पुणु. 4. 1 PS आयण्णहो. 2 PS_A परिहरई. 3 Ps सल्लेहण. 4 P सो वि मोक्खु महापुरि संचरइं. 5 P S जोणि. 6A सुणि.7 A तणउं. 8 P तुलतोल्लिय, A तुलितोलियो. 9 A तुलि तोलिउ. 10 P 5 सवहु. 5. 1 Omitted in A. 2 P सञ्चउं. 3 s काउरिसु, A कप्पुरिसु. -३ प्रकटयति. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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