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क०९, ४-९,१०,१-९,११,१.४] उज्झाकण्डं-चउतीसमो संधि [१०५ गय वन्दणहत्ति करेवि सुर जाणइऍ धरिजइ धम्म-धुर ॥ ४ राहवेण वि वयइँ समिच्छियइँ । गुरु-दिण्णइँ सिरण पडिच्छियइँ ॥५ वउँ णवर ण थक्कइ लक्षणों वालुअपह-णरय-णि रिक्खणों ॥ ६ तहिँ तिण्णि वि कइ वि दिवस थियइँ जिण-पुजउ जिण-ण्हवण कियइँ ॥७ णिग्गन्थ-सयइँ भुञ्जाविय दीणहँ दाणइँ देवावियइँ ॥८
॥ घत्ता ॥ तिहुअण-जण-मण-णयणाणन्दहों वन्दणहत्ति करेवि जिजिन्दहों। जाणइ-हरि-हलहरइँ पहिह' तिणि वि दण्डारण्णु पइट्टइँ ॥९
दिट्ठ महाडइ णाई विलासिणि गिरिवर-थणहर-सिहर-पगासिणि ॥ १ ॥ पञ्चाणण-णह-णियर-वियारिय दीहर-सर-लोयण-विप्फारिय ॥ २ कन्दर-दरि-मुह-कुहर-विहूसिय तरुवर-रोमावलि-उद्भूसिय ॥ ३ चन्दण-अगरु-गन्ध-डिविडिकिय इन्दगोव-कुङ्कुम-चञ्चिकिय ॥ ४ अहवइ किं वहुणा वित्थारें णं णच्चइ गय-पय-संचारें ॥ ५ उज्झर-मुरवफालिय-सदें वरहिण-थिर-सुपरिट्टिय-छन्दें ॥ ६. 15 महुअरि-तिय-उवगीय-वमाले अहिणव-पल्लव-कर-संचालें ॥ ७ सीहोरालि-समुट्ठिय-कलयलु णाइँ पढइ मुणि-सुव्वय-मङ्गलु ॥ ८
॥ घत्ता ॥ तहाँ अब्भन्तरें अमर-मणोहरु णयण-कडक्खिउ एक्कु लयाहरु । तहिँ रइ करेंवि थियइँ सच्छन्दइँ जोगु लएविणु जेम मुणिन्दइँ ॥९॥
[११] तहिँ तेहऍ वणे रिउ-डमर-करु परिभमइ समुद्दावत्त-धरु ॥ १ आरण्ण-गइन्दे समारहइ वण-गोवउ वण-महिसिउ दुहइ ॥२ तं खीरु वि 'चिरिडिहिल्ल महिउँ जाणइहें समप्पइ घिय-सहिउ ॥३ से वि पक्कावइ घण-हण्डियहिँ वण-धण्णन्दुलेहिँ सुकण्डिऍहि ॥ ४ ॥ 3 P S राहवेण वयाइ. 4 s चउ. 5 A दीणइं. 6 P विहरंत पहिटइं. 7 Ps दंडारण्णे, ___10. 1 P विट्ठ. 2 A °पयासिणि. 3 A डिविडिक्खिय. 4 A °चचिंकियं. 5 P °वुप्फा. लिय'. 6 P वरहिणच्छि थिय सुपरिहिमचंदें. 7 A नइ. 8. सुव्वइ. 9 A लएप्पिणु.
11. 1 A गइंद, S गयंदि. 2 A वणे गोलउ. 3 A खीरु चिरिहिचिडिहिलु महिउ. 4 s महिलं, 5A घय. 6 P सवि. 7 P धणतंदुलैहिं कंडिए हिं. [१०] १ सरोवर. २ अनुलिप्ताः. ३ चंद्रवधूटिकाः, ४ भ्रमरी. [११] १ दधिः. २ सर्पिः ( Reading सव्वि ) (?).
स. प.च०१४
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