SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 141
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १००] सयम्भुकिउ पउमचरिउ ___[० १३, ९-१३, १४, १-९, १, १-२ पुषभउ सरेंवि कोहें जलिउ. थिउ रुन्धेवि णहयलें "किलिकिलिउ ॥९ उवसग्गु जाम पारम्भियउ ' वहु-रूहिँ गयणे वियंम्भियउ ॥ १० पडिवण्णएँ तहिँ तेहऍऽवसरें । वन्तऍ गुरु-उवसग्ग-भरें ॥ ११ तुम्हहँ जे पहावें तट्ठाइँ असुर धणु-रवेण पणट्ठाइँ ॥ १५ ॥ घत्ता ॥ तो अम्हहँ वप्पु कालन्तरेण मुउ। सो दीसइ एत्थु गारुडु देउ हुउ ॥ १३ [१४] तो गरुडें परिओसिय-मणेण वे विजउ दिण्णउ तक्खणेण ॥१ " राहवहों सीहवाहणि पवर । लंक्खणहाँ गरुडवाहणि अवर ॥ २ पहिलारी सत्त-सऍहिँ सहिय अणुपच्छिम तिहिँ सऍहिँ अहिय ॥ ३ तो कोसल-सुऍण सु-दुल्लहेंण वुच्चइ वइदेही-वल्लहेण ॥४ 'अच्छन्तुं ताव तुम्हहुँ जे घरे अवसरै पडिवणे पसाउ करें' ॥५ सहुँ गरुडे संभासणु करवि गुरु पुच्छिउ पुणं चलणेहिँ धरेवि ॥ ६ is 'अम्हहुँ हिण्डन्तहुँ धरणि-वहें जं जिम होसइ तं तेम कहें ॥ ७ कुलभूसणु अक्खइ हलहरहों 'जलु लद्देवि दाहिण-सायरहों ॥ ८ ॥ घत्ता ॥ संगाम-सयाइँ महि-खण्डइँ तिणि विहि मि जिणेवाई। सं . भु अवाइँ ॥९ [३४. चउतीसमो संधि] केवलें केवलीहें उप्पण्णऍ चउविह-देव-णिकाय-पर्वण्णएँ । पुच्छइ रामु महावय-धारा 'धम्म-पाव-फल कहहि भडारा ॥ [१] काई फलु पञ्च-महन्वयहुँ अणुवय-गुणवय-सिक्खायहुँ ॥ १ 25 काइं फलु लँइऍ अणथमिएँ उववास-पोसवऍ संथविऍ ॥२ 9 Ps णहयलि, 4 पहियलि. 10 s किलिकिलिओ, A किलिगिलिउ. 11 P तुम्हइ. 12 s धणुवाणरवेण. 13 P S अम्हहो. 14. 14 दिण्णउं. 2 A omits this pada. 3 s भच्छंति. 4 A पुणु वि चलण धरेवि. 55 जिणेवई. 6 PS वच्छ सइं. 7 PS भुंजेव्वई. ___ 1. 15 उप्पण्णइं. 2 F एवण्णए, s पवण्णइं. 3 A अक्खु. 4 PS कायइ. 5 P वयाहुँ, s व्वयाहु. 6 P लइयए अणस्थमिभए, लयए भणथमियई, लइए अणंथमिए. 7 P संथविपए, संथवियई. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy