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________________ .क.११,९,१२,१-९, १३, १-८] उज्झाकण्ड-तेत्तीसमो संधि [९९ . ॥घत्ता॥ दिदी-विस वाल सप्पहाँ अणहरइ । जो जोअइ को वि' सो सयलु वि मरइ ॥ ९ [१२] तहिँ अवसर पणेइहिँ पहु भणिउँ “खेमङ्कर तुहुँ जणणिऍ जणिउँ ॥ १ तुहुँ महियले धण्णउ एक्कु पर कमलोच्छव दुहिय जासु पवर ॥ २ कुल-देसविहसण जमल सुर्य तं णिसुणेवि णाइँ कुमार मुय ॥ ३ हेय-हियय काइँ चिन्तवसि तुहँ पाविजइ जेहिं महन्तु दुह ॥४ खल-खुद्दई दुक्किय-गाराइँ णारइय णरय-पइसाराइँ ॥५ गय-वाहि-दुक्ख-हक्काराइँ सिव-सासय-गमण-णिवाराइँ ॥ ६ ॥ तित्थङ्कर-गणहर-णिन्दिय. उ खञ्चहि पञ्च-वि-इन्दियइँ॥७ रूवेण पयङ्गु मीणु रसेंण मिगु सवणे भसलु गन्धवसेंण ॥ ८ ॥ घत्ता ॥ फरिसेण विणासु मत्त-गइन्दु गउ। जो सेवइ पञ्च तहों उत्तारु कउ" ॥ ९ • ॥ [१३] . तो किय णिवित्ति परिणेवाहाँ सावजु रज्जु भुओवाहाँ ॥१ पारडं पयाणउ तव-पहेंण णिय-देहमएण महारहेण ॥ २ विहिं विण्णाणिय उप्पाइऍण दुट्ठ-कम्म-पच्छाइऍण ॥३ इन्दिय-तुरङ्ग-संचालिऍणं सत्तविह-धाउ-वन्धालिऍण ॥४ चल-चलण-चक्क-संजोइऍण मण-पंकल-सारहि-'चोइऍण ॥ ५ तव-संजम-णियम-धम्म-भरेंण आइय णिय-णिय-तणु-रहवरेण ॥ ६ थिय पडिमा-जोग्गे गिरि-सिहर सो अग्गिकेउ तेहऍऽवसर ॥ ७ संचलिउ णहँङ्गणे कहिँ वि जाम गउ अम्हहँ उप्परि खलिउ ताम ॥ ८ 7 PS इ. 12. 1A पणएं. 2 पभणिउं. 3 PS A जणिउं. 4 P A धपणउं. 5 P कमलच्छवि,s कमलच्छिवि. 6 A मुय.7 This pada omitted in A. 8 P S ताई. *9 Ps जेण. 10 PA दुहुं. 11 s °वाइहि. 12 A भमरु. 13. 1 A पयाणउं. 2 A वहि वण्णाणिउं अप्पाइएण. 3 A °संवालिएण. 4s °संचालियेण. 5 P°सारहिं. 6 PS A णहंगणि: 7 PS कहि. 8 PSA अम्हह. [१२] १ वंदिजनैः मित्रैश्च. २ रे हृतहृदय. ३ रोगाः. [१३] १ प्रधानम्. २ प्रेरितेन. ३ गमनम्. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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