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________________ ९६] सयम्भुकिउ पउमचरिउ 15 वि अंवरे वि सिय कहाँ समाणु वि पुणु वि कहइ परमेसरु पुणु उप्पत्ति-जरा-मरणावसरु पुग्गल - परिमाणं- सुत्तु धरेंवि बहु-अत्थि जि अन्तर्हि ढङ्किङ सिर- कलसाड संचरइ 10 तरुणत्तणु जाम ताम वहइ सिरु कम्पइ जम्पइ ण वि वयणु ण चलन्ति चलण ण करन्ति कर ॥ पुणु पच्छिम-कालें जिउ जेम विहङ तं णिसुर्णेवि णरवइ उवसमिउ अणु पुणु भाव- गाह-गहिउ तहिँ उइय-मुइय णिग्गन्ध थिय 20 पुणु सवण - सङ्घ त पुरवरहों सम्मेयों जन्त जन्त वलिय ते उइय-मुइय दुइ बिडिय धाइउ धाणुकु वद्ध-वइरु दुष्पेच्छच्छ्रं धिर-थोर करु ॥ धत्ता ॥ Jain Education International [ क० ५, ९; ६, १–५, ७, १-८ कालें कवलु किय | एक्कु वि पर ण गय” ॥ ९ [६] " जिउ तिण्णि अवस्थउ उवह ॥ १ पहिलउ जे णिवेद्धर देह-घरु ॥ २ कर चलण चयारि खम्भ करेंवि ॥ ३ मासि चम्म छुह- पङ्किय ॥ ४ माणुसु वर-भवण अणुहरइ ॥ ५ पुणु पच्छऍ जुण्ण-भाउ लहइ ॥ ६ ण सुणन्ति कण्ण णणियइ णयणु ॥ ७ जर जज्जरिहोइ सरीरु पर ॥ ८ घत्ता ॥ [६] १ अस्थि-अत्रावलीभिः . [७]१ दीक्षितः २ मदिरापीतः ३ वक्षः . णिवss देह-घरु । उडुई मुऍवि तरु" ॥ ९ [७] णिय - णन्दणु यि-पऍ सेण्णिमि ॥ १ 'णिक्खन्तु रहिव-सय-सहिउ ॥ २ कर-कमलैहिँ के सुप्पीड किय ॥ ३ गड वन्दणहत्तिऍ जिणवरहों ॥ ४ पहु छवि उप्पण चलिय ॥ ५ वसुभूइ-भिल्ल-पंल्लिहें पडिय ॥ ६ गुञ्जाहल-णयणु पीय-मइरु ॥ ७ अप्फालिय धणुहरु हिर-सरु ॥ ८ 9Ps अवर. 6. 1 PS अवस्थइ 2 P णिबंधई, s णिवंधइ. 3 Ps परिमाणु. 4 Ps चयारि वि. 5 P अंतिहि, s यंतिहि, A अंतहि. 6 A ढक्कियाउ 7s मास, A मासिह 8 P s वहंति. 9 PS उड्डड्इ जेम, 4 उड्डुए. 10 A omits. 7. 1 A पुरे. 2 s सणिमिउं, ' A सण्णेमिउं. 3 A अप्पणु. 4 A नराहिउ. 5P के सुप्पा. 6 P s जंतु. 7 P थल्लिहिं, s पल्लिहि. 8Ps गुंजाहलु. 9A वस्थ. 10 A गहिय. 11 s 'भवंतरइ. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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