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·९४] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
[क० १,९,२, १-९,३, :
॥ धत्ता ॥ णं अमर-कुमार
छुडु सग्गीं पडिय। णाणङ्कुस-हत्थ
जोबण-गएँ चडिय॥ ९
[२] 5 तो पमिणिपुर-परमेसरहाँ दरिसाविय 'विजय-भहीहरहों ।। १ । तेण वि णिय-सुअों जयन्धरहों किय किङ्कर वड्डिय-रणभरहों ॥ २ । अच्छन्ति जाम भुञ्जन्ति सिय तो ताम जणेरहों गेमण-कियं ॥ ३ . पैट्ठविउ णरिन्दें अमियसरु अइभूमि-लेह-रिज्छोलि-धरु ॥४
सुभूइ सहेजउ तासँ गउ तें णवर पाण-विच्छोउ कउ ॥५ " पल्लट्टइ पल्लट्टिउ भणेवि ते उइय-मुइय तिण-समु गणेवि ॥ ६
सो उवउवाएविएँ सहुँ जियइ अमिओवमु अहर-पाणु पियुइ ।। ७ परियाणेवि जेहें दुच्चरिउ वसुभूइहें जीविउ अर्वहरिउ ॥ ८
॥ धत्ता ॥ उप्पण्णउ विज्झें होप्पिणु पल्लिवइ । पुवक्किउ कम्मु
सव्वहाँ परिणवइ ॥ ९
[३] जय-पव्वय-पवरुजाणु जहिँ 'रिसि-सङ्घ पराइउ ताव तहिँ ॥१ किय रुक्खें रक्खें आवास-किय णं रुक्खे रुक्खें अवइण्ण सिय ॥२
संजाय अङ्ग' कोमलइँ अहियइँ पण्णइँ फुल्ल' फैलइँ ॥ ३ १० 'रिसि रुक्ख व अविचल होवि थिय किसलऍ परिवेढावेढि किय ॥४
रिसि रुक्ख व तवण-ताव तविय 'रिसि रुक्ख व मूल-गुणग्यविय ॥५ रिसि रुक्ख व आलवाल-रहिय रिसि रुक्ख व मोक्ख-फलब्भहिय ॥ ६ गउ गन्दणवणिउ तुरन्तु तहिँ सो विजय-महीहर-राउ जहि ॥ ७ 13 Pणामंकस.
2. 1 P पोइणि°, s पोमिणि'. 2 A °तिय. 3 A ताव. 4 P सो लइ उअवाएवि सहु जिआई, s उअवाएविये सहु सहु जियइं, A omits सो. 5s अमिउवहु. 6 P अवहरिउं. 7 PS होएप्पिणु. 8 PS पुवकिउ.
3. 1s तुरिउ. 2 A omits the portion from इं अंगई up to रिसि in line 5. 3 PS कोमलाई. 4 P S फुल्लइ फलाइं. 5 PS तावतवणु. 6 °क्खविय. 7 PS मालावाल.8 PS ग्वविय.
[२] १ विजयपर्वतस्य राज्ञः. २ गमनक्रियायां.. ३ विजय-महीश्वर-राज्ञा क्वापि प्रयोजनेन प्रेषितः स अमृतसर-दूतः. ४ दूर-भूमि, अथवा भूमेरनतिक्रमेण निज-भूमि यावत्. ५ लेखमाला. ६ ब्राह्मणः. ७ तेन दूतेन व्यावृत्तः. ८ वसुभूतिः. ९ महादेवी उपयोषित्वा (?)
[३] १ विजयपर्वतः. २ अटम न्यायो x वृक्षमूलं अलस्थानं च. ३ वनपाल:.
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