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* ,.-१०, १-९,७,१-९] इय उत्तिम तर इन्दु वि वन्दई एम चवन्त पत्त वल-लक्खण दिवस चयारि अणङ्ग-वियारा
उज्झाकण्डं-वत्तीसमो संधि [८९ जणु कजेण तेण अहिणन्दई' ॥७ जहिँ कुलभूसण-देसविहूसण ॥८ पडिमा-जोगें थक्क भडारा ॥ ९
॥ घत्ता
॥
वेन्तर-घोप्सेंहिँ , आसीविसेंहिँ वेढिय वे वि. जण सुह-लुद्ध-मण
अहि-विच्छिय-वेल्लि-सहासेंहिँ। । पासण्डिय जिह पसु-पासेंहिँ ॥१०
जं दिटु असेसु वि अहि-णिहाउ वलऐउ भयङ्करु गरुडु जाउ ॥ १ तोणीर-पक्खु वइदेहि-चञ्चु पक्खुज्जल-सर-रोमञ्च-कञ्चु ॥ २ सोमित्ति-वियड-विप्फुरिय-वयणु णाराय-तिक्ख-णिडुरिय-णयणु ॥ ३ ॥ दोण्णि वि कोवण्डइँ कण्ण दो वि थिउ राहउ भीसणु गरुडु होवि ॥४ तं णयण-कडक्खेवि दुग्गमेहिँ परिचिन्तिउ कज्जु भुअङ्गमेहँ ॥५ 'लहु णासहुँ किं गर-संगमेण खज्जेसहुँ गरुड-विहङ्गमेण' ॥ ६ एत्थन्तर विहडिय अहि मयन्ध गय खयहाँ णाई मुणि-कम्मवन्ध ॥ ७ भय-भीय विसैन्थुल मणेण तदृ खर-पवण-पहय घण जिह पणट्ठ ॥८॥
॥ घत्ता ॥ वेल्ली-सङ्कलहों वंसत्थलहों विसहर-फुक्कार-करालहों। जाय प्रगास रिसि णहें सूर-ससि उम्मिल्ल णाई घण-जालहों ॥९
[७] अहि-णिवहु जं जें गउ ओसरेंवि मुणि वन्दिय जोग-भत्ति करेंवि ॥ १ , जे भव-संसारारिहें डंरिय सिव-सासय-गमणहाँ अइतुरिय ॥२ विहिँ दोसहिँ जे ण परिग्गहिय विहिँ वज्जिय विहिँ झाणहिँ सहिय ॥३ तिहिँ जाइ-जरा-मरणेहिँ रहिय सण-चारित्त-णाण-सहिय ॥४ जे चउगइ-चउकसाय-महण चउ-मङ्गल-कर चउ-सरण-मण ॥ ५ जे पञ्च-महवय-दुंधर-धर पञ्चेन्दिय-दोस-विणासयरं ॥ ६
25 छत्तीस-गुणंड्डि-गुणेंहिँ पवर छजीव-णिकायहुँ खन्ति-कर ॥७ जिय जेहिँ सभय सत्त वि णरय जे सत्त सिवङ्कर अणवरय ॥८ कम्मट्ठ-मयट्ठ-दुट्ठ-दमण अट्टविह-गुणड्डी-सरसवण ॥ ९ 4 PS उत्तम. 5 A °जोएं. 6 3 सुद्धमग, A मुहसुद्धमण. 6. 1 P वलएव. 2 A °वर'. 3 A किण्णर. 4 s A विसंतुल.
7. 1 P°संसारासिंह, s°संसारारिहिं.2 s दुरिय. 3 P दुन्दरद्धर, 5 दुद्धरधर. 4 PS 'विणासकर. 5A °गुणदृ'. 6s °णिकायदोषंतिकर. 7 P जें. 8 P °दवण, s°दवणा. ४ ख्यादि-गृहारम्भैः.
स. प. च०१२
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