________________
९०] सयम्भुकिउ पउमचरित
[2०७,१०,१-९,९,१-४
॥ घत्ता॥ एकेकोत्तरिय इय गुण-भरिय पुणु वन्दिय वल-गोविन्देहिँ । गिरि-मन्दिर-सिहरें वर-वेईहरें जिण-जुवलु'व इन्द-पडिन्देहि ॥१०
[८] । भावें तिहि मि जणेंहिँ धम्मजणु किउ चन्दण-रसेणं सम्मजणु ॥ १ पुप्फच्चणिय छुद्ध-सयवत्तेहिँ पुणु आढत्तु गेउ मुणि-भत्तेहिँ ॥२ रामु सुघोस वीण अप्फालइ जा मुणिवरहु मि चित्तइँ चालइ ॥३ जा रामउरिहिं आसि रवण्णी तूसेंवि पूयण-जक्खें दिण्णी ॥४
लक्खणु गाइ सलक्खणु गेउ सत्त वि सर ति-गाम-सर-भेउ ॥ ५ 10 एकवीस वर-मुच्छण-ठाणइँ एक्कुणपञ्चास वि सर-ताण ॥ ६ ताल-विताल पणच्चइ जाणइ णव रस अट्ट भाव जा जाणइ ॥ ७ दस दिट्ठिउ वावीस लया भरहें भैरह गविट्ठइँ जाइँ ॥ ८
॥ घत्ता ॥ भावें जणय-सुय चउसहि भुय दरिसन्ति पणञ्चइ जाहिँ । ॥ दिणयर-अथवणे गिरि-गुहिले-वणे उवैसग्गु समुट्ठिउ ताहिँ ॥ ९
[९] तो कोवग्गि-'करम्विय-हास' दिदुइँ णहयलें असुर-सहोसइँ ॥१ अण्णइँ विष्फुरियाहर-वयणइँ अण्णइँ रतुम्मिल्लिय-णयणइँ ॥२
अण्णइँ पिङ्गङ्ग पिङ्गक्खइँ अण्णइँ णिम्मंसइँ दुप्पेक्खइँ ॥ ३ ॥ अण्णइँ ण णच्चन्ति विवत्थई अण्णइँ तहिँ चामुण्ड-विहत्थई ॥४
अण्ण. कङ्काल. वेयांलइँ कत्तिय-मडय-करइँ विकराल. ॥ ५ अण्णइँ मसि-वण्णइँ अपसत्थइँ णर-सिर-माल-काल-विहत्थइँ॥ ६ अण्णइँ सोणिय-मईर पियन्तइँ णचन्तइँ घुम्मन्त-घुलन्त ॥ ७ ॥ अण्णइँ किलकिलन्ति चउ-पासेंहिँ अण्णइँ कहकहन्ति उवहासेंहिँ ॥ ८ 9 P इहरे. 10 P इ, s omits. 11 P 3 °पडिंदिहिं, A पडिंदहिं.
8. 1s पुष्फच्चयणिय. 2 P च्छुग', S च्छु. 3 P S सुघोसु. 4 P S टालइ. 5 P S एक्कु वि पंचास. 6 s जो. '7 P S A जाणइं. 8 A भरहे. 9 A भरहे. 10 8 जायई. 11 Ps दिणयरु अंथवणे. 12 P "गुहलस', s गुहसै?. 13 s ओसग्गु. .
9. 1 A °सहायइं. 2 Ps पिंगग्गइं. 3A चउंड. 4 Ps वेयालइ, A वेयालइ कंकालई. 5 PS °कपाल". 6 A °मए. [८] १ सीता. [९] १ मिश्राणि.
wwwwwwwwwwwwwwww
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org