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________________ सोमित्ति वुतुरमा क १४, १-९, १५, १-९,१६,.] उज्झाकण्डं-एकतीसमो संधि [ ८५ [१४] समरङ्गणे असुर-परायणेण अरिदमणु वुत्तु णारायणेण ॥ १ 'खल खुद्द पिसुण मच्छरिय राय मइँ जेम पडिच्छिय पञ्च घाय ॥२ तिह तुहु मि पडिच्छहि एक्क सत्ति जइ अत्थि को वि मणे मणुस-सत्ति' ॥३ किर एम क्षणेप्पिणु-हणइ जाम जियपउमएँ पत्तिय माल ताम ॥४ 'भो साहु साहु रणे दुण्णिरिक्ख मं पहरु देव दई जणण-भिक्ख ॥ ५ जें समरें परजिउ सत्तुदमणु पइँ मुऍवि अण्णु वरइत्तु कवणु' ॥६ तं वयणु सुणेप्पिणु लक्खणेण आउद्धइँ चित्तइँ तक्खणेण ॥७ मुक्काउहु गउ अरिदमण-पासु सहसक्खु व पणविउ जिणवरासु ॥८ ॥ घत्ता ॥ 'जं अमरिस-कुद्धे जय-जस-लुखें विप्पिउ किउँ तुम्हेहिँ सहुँ। अण्णु वि रेकारिउ कह वि ण मारिउ तं मरुसेन्जहि माम महु'॥९ [१५] खेमञ्जलिपुर-परमेसरेण सोमित्ति वुत्तु रजेसरेण ॥ १ "किं जम्पिएण वहु-अमरिसेण लइ लइय कण्ण पइँ पउरिसेण ॥ २ ॥ तुहुँ दीसहि दणु-माहप्प-चप्पु कहें कवणु गोत्तु का माय वप्पु' ॥३ महुमहणु पवोल्लिउ 'णिसुणि राय महु दसरहु ताउ सुमित्ति माय ॥४ अण्णु वि पर्यडउ इक्खक्कु वंसु वड्डारउ जिह तरुवरहों वंसु ॥५ वे अम्हइँ लक्खण-राम भाय वणवासहाँ रज्जु मुएवि आय ॥६ उजाणे तुहारऍ असुर-मद्दु सहुँ सीयएँ अच्छइ रामभद्दुः ॥७ ३० वयणेण तेण कण्टइउ राउ संचल्लु णवर साहण-सहाउ ॥८ ॥ घत्ता॥ जण-मण-परिओसें तर-णिघोसें णरवइ कहि मिण माईयउ । जहिँ रामु स-भजउ वाहु-सहेजउ तं उद्देसु पराइयउ ॥ ९ [१६] एत्थन्तरें पर-वल-भडे-णिसामु उहिउ जण-णिवहु णिएवि रामु ॥.१ . 14. 1 PS को. 2 A देहि. 3 A परजिउं. 4 PS अरिदमहो. 5 Omitted in A. 6 A omits this pāda. 15.1 A transposes a &b. 2 P सुमित्त. 3 P पयडलं, A सुपयडु. 4 PSA उजाणि. 5 PS रामचंदु. 6 P माइअउ, 8 माइयओ, A माइउ. 7 PS अजु. 16. 1 नर'. wwwwww Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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