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८४] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
धरिय सत्ति जं समरें समत्थे पुण्णम- इन्दु रुन्द - मुहे-सोमहें 'सुन्दरि पेक्खु पेक्खु जुज्झन्तहों • जा त ताएं सत्ति विसज्जिय
र- भमरेण एण अकलङ्क तं सुणेपिणु विहसिय-वयणऍ जाल - गवक्खऍ जो अन्तर- पडु लक्खणु यण कडक्खिर कण्णऍ " ताम कुमारें दिट्टु सुदंसणु सुह-णक्खत्तें सुजोगे सुहङ्करु
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अण्क्क मुक्क वहु-मच्छरेण स हि दाहिण - कक्खहिँ छुद्ध तेण tous विसज्जिय धगधगन्ति सविधरिय एन्ति णारायणेण 20 णं *महिहरु देवइणन्दणेण
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एत्थन्तरें दुट्ठे
मुकारुट्टे
स वि धरिय सरग्गे वाम- करग्गे
पर्मुक्क पधाइय णरवरासु सविणेंहि एन्ति णिरुद्ध केम एत्थन्तरें देवहिँ लक्खणासु अरिदमणु ण सोहइ सत्ति- हीणु
हरि रोमश्चिय-तणु रतुप्पल लोयणु
[१२]
मेल्लि कुसुम-वासु सुर-सत्थें ॥ १ केण वि कहि गम्पि जियपोमहें ॥ २ णोखी' का वि भङ्गि वरइत्तों ॥ ३ लग्ग हत्थे असइ बालज्जिय ॥ पर चुम्वेवं तुह मुह-पङ्कउ ॥ ५ णव- कुवलय-दल-दीहर-णयणऍ ॥ ६ ाइँ सहत्थे फेडिउ मुह-वडु ॥ ७ 'णं जुज्झन्तु निवारिउ सण्णऍ ॥ ८ धवलहरम्वरें मुह-मयलञ्छृणु ॥ ९ यणामेलउ जाउ परोप्परु ॥ १०
॥ घन्ता ॥
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[क० १२, १-११, १३, १-१०
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लहु अण्णेक सत्ति गरेंण । णावर णव चहु णव- वरेंण ॥ ११
सहइ स-पहरणु रस-वस-भोयणु
[१३]
वज्जासणि णाइँ पुरन्दरेण ॥ १ अवरुण्डिय वेस व कामुएण ॥ २ णं सिहि- सिह जाला - सय मुअन्ति ॥ ३ वामद्धे गोरि व तिणयणेण ॥ ४ पञ्चमिय मुक्क वहु-मच्छरणं ॥ ५ णं कन्त सुकन्तों सुहयरासु ॥ ६
- सुरय-समागमें जुवइ जेम ॥ ७ सिरें मुक्क पडीवर कुसुम-वासु ॥ ८ खल - कुपुरिसु व थिउ सत्ति - हीणु ॥ ९
॥ घत्ता ॥
रण- मुहँ परिसक्कन्तु किह । पञ्चाउहु वेयालु जिह ॥ १०
12. 1 PS सहस्थें. 2 PS पुणु मइंद, A इन्द. 3 A सोद्दहो, P सोमहें, s सोमि हिं. 4 a omits this pāda. 5s खोणी. 6 PSA चुंबेवउं. 7 A णिसुणेपिणु.
13.
3A गउरि. 4 A reads this line thus : महिहरु देवण.
14 वक्खहिं. 2 A अवरुंडिवि तिह धरिय करग्गे सत्ति तेण
5 after line 5, P reads the following extra pāda णं वज्जासणि णिद्यमणेण.
6 A omits this line. 7 A वि डसणेहि 8s णं.
[ ४२ ] १ मुखचन्द्रः.
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