SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 124
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ क० १०, १-९,११,१-९] उज्झाकण्ड-एकतीसमो संधि [८३' [१०] अरिदमणे भडु जं अहिखित्तु . महमहु जेम दवग्गि पलित्तु ॥ १ 'हउँ जियपउम लएवि समत्थु मइँ जि हुआसणे ढोइउ हत्थु ॥२ म. जि. सिरेण पडिच्छिउ वज्जु मइँ जि कियन्तु वि घाइउ अज्जु ॥ ३ मइँ जि पहङ्गणु छित्तु करग्गें मइँ जि सुरिन्दु परजिउ भोग्गें ॥ ४ म. जि क्सुन्धरि दारिय पाएं मइँ जि पलोट्टिउ दिग्गउ घाएं ॥५ मइँ जि सुरेहहों भग्गु विसाणु मइँ जि तलप्पऍ पाडिउ भाणु ॥ ६ लघिउ मइँ जि समुहु असेसु म. फण-मण्डवें चूरिउ सेसु ॥७ म. जि पहञ्जणु वधु पडेण मेरु महागिरि टालिउ जेण ॥ ८ ॥ पत्ता॥ हउँ तिहुअण-डामरु हउँ अजरामरु हउँ तेत्तीसहुँ रणे अजउ । खेमञ्जलि-राणा अवुह अयाणा मेल्लि सत्ति जइ सत्ति तउ' ॥ ९ . [११] तं णिसुणेंवि खेमञ्जलि-राणउ उद्विउ गलगजन्तु पहाणउँ ॥१. सत्ति-विहत्थउ सत्ति-पगासणु धगधगधगधगन्तु स-हुआसणु ॥२ अम्बरें तेय-पिण्डु णउ दिणयरु णिय-मजाय-चत्तु णउ सायरु ॥३ जण अणवरय-दाणु णउ मयगलु परमण्डल-विणासु णउ मण्डलु ॥४ रामायणहाँ मज्झें णउ रामणु भीम-सरीरु ण भीमु भयावणु ॥ ५ तेण विमुक सत्ति गोविन्दहाँ णं हिमवन्तें गङ्ग समुदहाँ॥६ धाइय धगधगन्ति समरङ्गणणं तडि तडयडन्ति णह-अङ्गणे ॥ ७ 23 सुरवर णहें वोल्लन्ति परोप्परु 'एण पहारे जीवइ दुक्कर' ॥८ ॥ घत्ता॥ एत्थन्तरें कण्हें जय-जस-तण्हें . धरिय सत्ति दाहिण-करेण । संकेयहाँ दुक्की थाणहाँ चुक्की.. णावइ पर-तिय पर-णरेण ॥९ 10. 1s अरिदवणे. 2 A विवाइट, 3A जे. 4 PS फणि?. 5s जे. 6 तेतीसहुँ, s तेत्तीसह, A तेतीसहि. 7 मेल्लि २ जइ. __11. 1 P S A राण. 2 A पहाणउं. 3 P 5 °विन्दु. 4 P marginally, पाठे '' सर्वत्र, A नं. 5 A नं. 6 A गयंगणे. [१०] १ ऐरापतिः. २ दन्त. ३ मया. ४ त्रयस्त्रिंशत्-कोटिदेवानाम् . [१११पिण्डु. २. ३ खड्ग. ४ अथवा स्त्रीजनः रमणीयः न तु रामणः Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy