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________________ क०२,१-९,३, १-८,४, १-२] उज्झाकण्डं-एकतीसमो संधि [७९ कजल-चहलुप्पीले-सणाहें महि पव्वालिय अंसु-पवाहें ॥१ 'एत्तिउ विरुवंउ माणुस-लोउ जं जर-जम्मण-मरण-विओउ' ॥२ धीरिय लक्खणेण एत्थन्तर 'रामहों णिलउ करेवि वणन्तरें ॥ ३ ।। कइहि मि.दिणेहिँ मडीवउ आवमि सयल स-सायर महि भुञ्जावमि ॥ ४ ॥ जइ पुणु कहवि तुल-लग्गै णायउ हउँ ण होमि सोमित्तिऍ जायउ॥५ अण्णु वि रय॑णिहें जो भुञ्जन्तउ मंस-भक्खि महु मन्जु पियन्तउ ॥ ६ जीव वहन्तउ अलिउ चवन्तउ पर-धणे पर-कलत्तै अणुरत्तउ ॥७ जो णरु आऍहिँ वसणैहिँ भुत्तउ हउँ पावेण तेण 'संजुत्तउ ॥८ ॥ घत्ता ॥ जइ एम वि णावमि वयणु ण दावमि तो णिव्यूंढ-महाहवहाँ । णव-कमल-सुकोमल णह-पह-उज्जल छित्त पाय मइँ राहवहाँ' ॥९ [३] वणमाल णियत्तेवि भग्गमाण गय लक्खण-राम सुपुजमाण ॥१ थोवन्तरें मच्छुत्थल्ल देन्ति गोला-णइ दिट्ट समुवहन्ति ॥ २ • is सुंसुअर-घोर-घुरघुरुहुरन्ति करि-मयरड्डोहियं-डुहुडहन्ति ॥ ३ डिण्डीर-सण्ड-मण्डलिउ देन्ति ददुरय-रडिय-दुरुदुरुदुरन्ति ॥ ४ कल्लोलुल्लोलहिँ उव्वहन्ति उग्घोस-घोस-घवघवघवन्ति ॥ ५ पडिखलण-वलण-खलखलखलन्ति खलखलिय-खडक्क-झडक्क देन्ति ॥ ६ . ससि-सङ्ख-कुन्द-धवलोज्झरेण कारण्डुड्डाविय-डम्वरेण ॥ ७ ॥ घत्ता ॥ फेणावलि-वतिय वलयालङ्किय णं महि-कुलवहुअहें तणिय । जलणिहि-भत्तारहों मोत्तिय-हारही वाह पसारिय दाहिणिय ॥ ८ [४] थोवन्तरें वल-णारायणेहिँ खेमञ्जलि-पट्टणु दिड तेहिँ ॥ १ अरिदमणु णराहिउ वसइ जेत्थु अइचण्डु पयण्डु ण को वि तेत्थु ॥२ । 2. 1 Ps °लुप्पीलु. 2 P S विरुयउ. 3 P S ण आयउ. 4 s तो हउ. 5 PS सुमित्तिए. 6s स्यणेहि, A रयणिहिं. TRA चवन्तहो. 8 A आसत्तहों. 9 P S एव मि. 10 P णिवुड. 3.. 1 A सपुजमा. 2 A रुडोहिय: 3 A डेडरयरडियदुरुडरुडुरंति. 4 A पडिलक्खण. [२] १ भवामि. . [३] १ शब्दं करोति (?). २ गम्भीर-जलपातेन. 25 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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