SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 119
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 1e ७८ ] सयम्भुकिउ पउमचरिउ तव चरणें पेरिट्टि जं जि राउ तें दि भडारउ तेय-पिण्डु जो कोह- हुवासणें जल- णिहाउ जो दप्प - गइन्दे महा-मइन्दु सो मुणिवर दसरह - णन्दणेण 'भो साहु साहु गम्भीर धीर जं पाडिउ हउँ चलणेहिं देव गउ एम पसंसेंवि भरहु राउ 25 हरि-वल पठ जयन्तपुरें धण-कर्ण-पउरें जय - मङ्गल - तूर - वमाहिं | लक्खणु लक्खणवन्तियऍ णिय-पत्तियऍ अवगूढ से इं भुव डालेंहिं ॥ ९ छुडु छुडु उर्हंय समागम - लुद्धइँ छुडु छुडु अवरोप्परु अणुरत्तइँ छुड छुडु अहिणव-हु-वरइत्तइँ 20 छुड छुड चुम्विय-तामरसाइँ ताम कुमारें यण-विसाला 'हे मालूर - पवर - पीवर - थणें हंस - गम गय- लील-विलासिणि जामि कन्ते हउँ दाहिण-देसहों घण घण्ण-समिद्धहों पुहइ-पसिद्धहों जण-मण-णयणाणन्दणहों । 1. वण-वासहों जन्तेंहिं रामाणन्तहिं किउ उम्माहउ पट्टणहों ॥ 15 सुँवर-वरइतें ओहुल्लिय-वयणी [११] तहों वन्दण-हत्तिएँ भरहु आ ॥ १ जो मोह-महीहरें वज्ज- दण्डु ॥ २ जो मयण-महाघणें पलय-वाउं ॥ ३ जो माण-भुअङ्ग क्र- खगिन्दु ॥ ४ वेन्दिउ णिय- गरहण - णिन्दणेण ॥ ५ पइँ पूरिय पइजाणन्तवीर ॥ ६ तं तिहुअणुकरावि सेव ७ णिय-णयरु पत्तु साहण-सहाउ ॥ ८ ॥ घन्ता ॥ * [ ३१. एक्कतीसमो संधि ] Jain Education International [ क० ११, १–९, १, १-९ [१] रिसि- कुलइँ व परमागम - लुद्धइँ ॥ १ सञ्झ - दिवार्यरइँ व अणुरत्तइँ ॥ २ सोम-हा इव सुन्दर - चित्तइँ ॥ ३ "फुलैन्य इव लुद्ध-रसाइँ ॥ ४ जन्तें आउच्छिय वणमीला ॥ ५ कुवलय-दल-पप्फुल्लिय- लोअणें ॥ ६ चन्द-वयर्णे णिय-णाम - पगासिणि ॥ ७ गिरि-किक्किन्ध-णयर- उद्देसह ' ॥ ८ U ॥ घत्ता ॥ णव-वरइसें पगलिय-णयणी जं आउच्छिय णियय धण । थिय हेट्ठामुह विमण मण ॥ ९ 11. 1 P पइडिउ. 2 A omits this pāda. 3 Ps कारावियउं. 4 P पइहु s पट्ट PS जियंत पुरे. 6 A°जन, 7PS संयं. 1.、 1 8 A °णाणंदहो. 2 P जंतहिं, s जतहिं, 3 P s रामाणतो. 4 A उभय दिवायरु इव. 6 A णव. 74 सोमसहावई. 8 Missing in A. 95 वणवाला. [१] १ लक्ष्मणः २ परमा लक्ष्मीः शोभा तस्यागमनम्, अन्यत्र सुगमम् ३ चन्द्रप्रभा इव. ४ भ्रमरः ५ विम्बफल इव. ६ सुरवरः पूतनयक्षः, तस्य वरं जातं यस्य. For Private & Personal Use Only 5 Ps www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy