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क० ४, ९,५,१-८६, १-९],
उज्झाकण्डं-तीसमो संधि [७५
॥ घत्ता॥ कामिणि-वेस कियाहरण विहसिय-वयण गय पत्त तेत्थु पडिहारु । वुच्चइ 'आयइँ चारणइँ भरहों तण जिव कहें जिव देइ पइसारूं ॥९
तं.वयणु सुणेवि पडिहारु गउ विण्णत्तु णराहिउ रणे अजउ ॥ १ 'पहुं एत्तई गायण आयाइँ फुडं माणुस-मेत्तण जाया ॥२ ण जाणहुँ किं विजाहरइँ किं गन्धबई किं किण्णरइँ ॥ ३ अइ-सुसरइँ जण-मण-मोहण' मुणिवरहु मि मणे-संखोहणई ॥४ तं वयणु सुणेवि णराहिवेण 'दे दे पइसार' वुत्तु णिवेण ॥ ५ पडिहारु पधाइउ तुट्ठ-मणु 'पइसरहों' भणन्तु कण्टइय-तणु ॥ ६ ॥ तं वयणु सुणेवि समुच्चलिय णं दस दिसि-वह एक्कहिँ मिलिय ॥ ७ .
||घत्ता॥ पईट परिन्दत्थाण-वणे रिउ-रुक्ख-घणे सिंहासण-गिरिवर-मण्डिएँ । पोढ-विलासिणि-लय-वहले वर-वेल्लहले अइ-वीर-सीह-परिचड्डिएँ ॥८
तहिँ तेहऍ रिउ-अत्थाण-वणे पञ्चाणण जेम पइट्ट खणे ॥१. णन्दियड-णराहिउ दिदु किह णक्खत्तहँ मझें मियङ्कु जिह ॥ २ आरम्भिउ अग्गएँ पेक्खणउ सुकलत्तु व सेवल्लु सलक्खणउ ॥ ३ . सुरयं पिव वन्ध-करण-पवरु कचं पिव छन्द-सद्द-गहिरु ॥४ रणं पिव वंस-ताल-सहिउ जुझं पिवं राय-सेय-सहिउ ॥५ जिह जिह उबेल्लइ हल-वहणु तिह तिह अप्पाणु णवेइ जणु ॥ ६ मयरद्धा-सर-संखोहियउ
मिग-णिवह वगेएं मोहियउ॥७ वलु पढइ अणन्तवीरु सुणइ 'को सीहें समउ केलि कुणइ ॥८
॥ घत्ता ॥ जाम ण रणंमुहें उत्थरइ पहरणु धरइ पइँ जीवगाहु सहुँ राऍहिँ। 25 ताम अर्याण मुएवि छलु परिहरेंवि वलु पडु भरह-णरिन्दों पाऍहिँ" ॥९.
5. 1 PS एहु. 2 P एतई, s एत्तइ, A एक. 3 PS गाइण, A गायणइं. 4 पुणु. 5 PS माणुसु. 6PS जाणह, A जाणहं. 7 PS विजाहराई. 8 PS किण्णराइं. 9PS मोहणाई. 10 A मुणिवरहं मि. 11 PS मणु, तणु. 12 PS °संखोहणाई. 13 A देहे देहे. 14 PS पट्ट.
6. 1A रायघायमाहिउ. 2 P गेयइं, s गेयइ. 3 Ps करइ. 4 A रणउहै. 5 PS पहरइ. 6PS रायहि, A राएंहिं. 7s अयाणु, A भयाणा. 8 saerroneously numbers this Kadavaka as 7 and this error in numbering persists up to the end of the Sandhi.
[५] १ ललित प्रमश्वरे बिम्बीफले च.
[६] १ अन्तिवीर्यः. २ चित्तदी, अङ्गबलं च (१). ३ राज-प्रखेदः, कुखम-रागोपलक्षिलप्रखेद एव पुनरपि. ४ रामः.
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