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११-१३,३,१-९,४,१-८
७४] सयम्भुकिउ पउमचरिउ मरु-कण्णाड-लाड-जालन्धर टक्काहीर-कीर-खस-वबर ॥ ११ अवर विजे एकेक-पहाणा केण गणेप्पिणु सक्किय राणा ॥ १२
॥ घत्ता ॥ ताम णराहिउ कसण-तणु थिउ विमण-मणु णं पडिउ सिरत्थलें वजु । • 'किह सामिय-सम्माण-भरु विसहिउ दुद्धरु किह भरहहों पहरिउ अर्जु॥१३
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जं णरवइ मणे चिन्तावियर हलहरु एक्कन्त-पक्खें थियउ ॥ १ . अट्ठ वि कुमार कोक्किय खणेण । वइदेहि' आय सहुँ लक्खणेण ॥ २ मेल्लेप्पिणु मन्तिउ मन्तणउ वलु भणइ 'म दरिसहाँ अप्पणउ ॥ ३ " रह-तुरय-महागय परिहरेंवि तिय-चारण-गायण-वेसु करेंवि ॥४ तं रिउ-अत्थाणु पईसरहों णच्चन्त अणन्तवीरु धरहों ॥५ तं वयणु सुर्णेवि परितुट्ठ-मण थिय कामिणि-वेस कियाहरण ॥ ६ वलएवें जोइउ पिय-वयणु किं होइ ण होई वेस-गहणु ॥ ७ 'लइ सुन्दरि ताव तिट्ट णयरें । अम्हेंहिँ पुणु जुज्झेवउ समरें ॥८
॥ घत्ता ॥ लग्ग कडच्छऍ जणय-सुय कण्टइय-भुय 'लहु णरवर-णाह ण एसहि । मइँ मेल्लेवि भासुरऍ रण-सासुर' मा कित्ति-बहुअ परिणेसहि' ॥९
[४] खेड्ड करेंवि संचल महाइय णिविसें णन्दावत्तु पराइय ॥ १ 20 दिट्ठ जिणालउ खण परिअञ्चेवि अग्गएँ गाऍवि वाऍवि णञ्चेवि ॥२
सीय ठवेंवि पइट्ट पुर-सरवरें । रहवर-तुरय-महागय-जलयरें ॥ ३ देउल-वहल-धवल-कमलायरें णन्दणवण-घण-तीर-लयाहरें ॥४ चार-विलासिणि-णलिणि-करम्विएँ छप्पण्णय-छप्पय-परिचुम्विएँ ॥ ५ सजण-णिम्मल-सलिलालङ्किएँ पिसुण-वयण-घण-पकुप्पङ्किएँ ॥ ६ 23 कामिणि-चल-मण-मच्छुत्थल्लिएँ णरवर-हंस-सएहिँ अमेल्लिएँ ॥७ तहिँ तेहऍ पुर-सरवरे दुजय लीलऍ णाइँ पइट्ट दिसागय ॥ ८
3. 1 PS वणमालपमुह सहु. 2 PS मत्तणउ, A मंतणउं. 3 P A अप्पणउं. 4 A °साण. 5A पईसरहुं, 6 PS धरहु, धरहुं. 7s होह. 8 P S अ: 9 P S णरवरचारणवेसहि, A नरवरनाह न एसहि. ____4. 1 P S A ठविवि. 2 PS A पुरे. 3 PS A Pाइ. .[३] १ वनमालायाः corrected as सीतायाः.
[४] १ छइल्ला. २ कर्दमलिप्तैः.
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