________________
क० १२, ७-११; १, १–१३].
अथु विलासिणि-जण-मण-चलहु अत्थु वियहु अस्थु 'गुणवन्त अत्थु अण अत्थु जगें 'सूहउ अत्थु इच्छिउ भुञ्जइ रज्जु
'साहु ' भन्ते राहण कडय-मउड-कडिसुतयहिँ
उझाडं - एगुणतीसमो संधि [ ६७ अत्थ- विउ बुचेइ घलेहु ॥ ७ अथ - विणु भमइ मग्गन्त ॥ ८ अत्थ-विह्नणु दीर्णे रु दूहउ ॥ ९ अत्थ-विहूणें किं पिण कज्जु' ॥ १०
॥ घत्ता ॥
[२९. एगुणतीसमो संधि ]
सुरडामर - रिउ - डमरकर वल-णारायण वे वि जण परितुट्ठ-मण
[१]
दियर - विम्वु व दोस - विवज्जिउ ॥ १
३
हर तुरएसु जुज्झु सुरएसु ॥ २ भङ्गु चिहुरेसु ॥ मलणु चन्दे ॥ ४ दण्डु छत्तेसु ॥ ५ पहरु दिवसेसु ॥ ६ 'चिन्त झाणेसु ॥ ७ सीहु रणे ॥ ८ अबे ॥ ९
'वेलु गणेसु ॥ १०
पट्टणु तिहि मि तेहिं आवज्जिउ वर होइ जइ कम्पु धेएसु घाउ मुरवे
जड रुद्देसु खलु खेत्तेसु ( बहु-) कर गहणेसु धेणु दाणेसु
सुर सग्गेसु
कल गए
डेरु वसहेसु वणु रुक्खेस
अहवइ कित्तिउं णिव वण्णिज्जइ
तहों णयरहों अवरुत्तरेण ाइँ कुमारहों एन्ताहों
इन्दणील-मणि- कश्चण-खण्डेहिं । पुजिउ कविलु सँ ई भु व दण्डेहिं ॥ ११
कोवण्ड-घर सहुँ सीयऍ चलिय महाइय । जीवन्त - णयरु संपाइय ॥
Jain Education International
झा मुक् ॥ ११
जइ पर तं जि तासु उवमिज्जइ ॥ १२
॥ घत्ता ॥
कोसन्तरेण उववणु णामेण सत्थउ । पइसन्ताहों थिउ णव - कुसुमाञ्जलि - हत्थउ ॥ १३
10 P विह्नणउं. 11 Ps मुच्चइ. 12s वल्लहु. 13 A न रुच्चइ दूहउ. 14 A सइच्छिउं 15 Psसयं. 1. 1 A भवयजिउ 2 Ps जडउ 3 A जाणु मोक्खेसु. 4s गिउ, A णिग्विणिजइ. 5 Ps कोसब्भंतरेण. 6S पत्थउं.
10
15
20
25
२ सौभाग्यम्.
[१] १ स्त्रि ()भिः २ दृष्टम् ३ न तु नगरे ४ द्रव्यं धनुश्च ५ ध्यानं उद्वेगाश्च. ६ सुरा सु (मद्यम् ), लघु स्ती झगढ़क ( Guj झगडा, Hem. 4. झकट )श्च. ८ देशी भाषा[ यां ] वृषभः शब्दो : वा, अन्यत्र भयम्. ९ मूर्खः, वातूलः (देशी भाषा ), अन्यत्र नभे प्रसिद्धः १० भो श्रेणिक.
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org