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________________ . क० १,१-९; २,१-८] उज्झाकण्ड-अट्ठावीसमो संधि [६१ [२८. अट्ठावीसमो संधि ] सीय स-लक्खणु दासरहि तरुवर-मूलें परिट्ठिय जाहिँ । पसरइ सु-कइहें कव्वु जिह मेह-जालु गयणङ्गणे ताहि ॥ [१] पसरइ मेह,विन्दु गयणङ्गणे पसरइ जेम सेण्णु समरङ्गणे ॥ १ ।। पसरइ जेम तिमिरु अण्णाणहों पसरइ जेम वुद्धि वहु-जाणों ॥२ पसरइ जेम पाउ पाविट्ठहाँ पसरइ जेम धम्मु धम्मिट्टहाँ ॥३ पसरइ जेम जोण्ह मयवाहहाँ पसरइ जेम कित्ति जगणाहहाँ ॥४ पसरइ जेम चिन्त धण-हीणहाँ पसरइ जेम कित्ति सुकुलीणों ॥ ५ पसरइ जेम सह सुर-तूरहों पसरइ जेम रासि णहें सूरहों ॥६ पसरइ जेम दवग्गि वणन्तर पसरैइ मेह-जालु तिह अम्बरें ॥७ तडि तडयडइ पडइ घणु गज्जइ जाणइ रामह) सरणु पवज्जइ ॥८ ॥ धत्ता ॥ अमर-महाधणु-गहिय-कर मेह-गइन्दे चडेवि जस-लुद्ध। . उप्परि गिम्भ-णराहिवहाँ पाउस-राउ णाइँ सण्णद्धउ ॥९ 15 [२] जं पाउस-णरिन्दु गलगजिउ धूली-रउ गिम्भेण विसजिउ ॥ १ गम्पिणु मेह-विन्दै आलग्गउ तडि-करवाल-पहारेंहिँ भग्गउ ॥२ जं विवरम्मुहु चलिउ विसालउ उहिउ ‘हणु' भणन्तु उण्हालउ ॥ ३ धगधगधगधगन्तु उद्धाइउ हसहसहसहसन्तु संपाइउ ।।४ जलजलजलजलजल पचलन्तउ जालावलि-फुलिङ्ग मेल्लन्तउ ॥५ धूमावलि-धयदण्डुब्भप्पिणु वर-वाउल्लि-खग्गु कड्डेप्पिणु ॥ ६ झडझडझडझडन्तु पहरन्तउ तरुवर-रिउ-भड-थड भजन्तउ ॥ ७ मेह-महागय-घड विहडन्तउ जं उण्हालउ दिदु भिडन्तउ ॥ ८ * 1. 1 PS वुद्धि जेम, 2 Between ५ and ६ Ps read this extra pāda: पसरइ जेम किलेसु णिहीणहाँ. 3 P S पसरिउ. 4 P S °महद्धउ गहिय करे.. 2. 1 P करवालु. 2 P A विवरामुहूं. 3 A विसालउं. 4 Ps °खग्ग. 5 P S तरुअर. 6 PS °महग्गय. 7 Between c and ९ Ps read the following extra lines: पाउस-राउ ताव संपत्तउ जलकल्लोलसन्ति पयर्डतउ ॥ [१] १ चन्द्रस्य. २ दुन्दुभिः. ३ रश्मयः. ४ सीता. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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