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६०] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
[क० १४, १-९, १५,१-९
[१४] तं वयणु सुणेप्पिणु महुमहणु आरुट्ट समर-भर-उवहणु॥१ णं धाइउ करि थिर-थोर-करु उम्मूलिउ दियवरु जेम तरु ॥२ उग्गामवि भावि गयणयले किर घिवइ पडीवउ धरणियलें ॥३ 5 करें धरिउ ताव हलपहरणेण 'मुऍ मुऍ मा हणहि अकारणेण ॥४ दिय-वाल-गोल-पसु-तवसि-तिय छ वि परिहरु मेल्लेवि माण-क्रिय' ।। ५ तं णिसुणेवि दियवरु लक्खणेण णं मुक्कु अलक्खणु लक्खणेण ॥ ६ . ओसरिउ वीरु पच्छामुहउ अङ्कुस-णिरुद्ध णं मत्त-गउ ॥ ७ . पुणु हियएँ विसूरइ खणे जे खणे 'सय-खण्ड-खण्डु वरि हूउ रणे ॥ ८
॥ घत्ता ॥ वरि पहरिउ वरि किउ तवचरणु वरि विसु हालाहलु वरि मरणु । वरि अच्छिउ गम्पिणु गुहिल-वणे णवि णिविसु वि णिवसिउ अवुहयणे'॥९
[१५] . तो तिणि वि एम चवन्ताइँ उम्माहउ जणहाँ जणन्ताइँ ॥१ 15 दिण-पच्छिम-पहर विणिग्गयाइँ कुञ्जर इव विउल-वणहो गयाइँ॥२ वित्थिण्णु रण्णु पइसन्ति जाव णग्गोहु महादुमु दिदु ताव ॥३ गुरु-वेसु करवि सुन्दर-सराणं 'विहय पढावइ अक्खराइँ॥४ वुकण-किसलय क-का रवन्ति वाउलि-विहङ्ग कि-की भणन्ति ॥ ५ वण-कुक्कुड कु-कू आयरन्ति अण्ण वि कलावि के-कइ चवन्ति ॥६ 20 "पियमाहवियउ को-कउ लवन्ति कं-का वप्पीह समुल्लवन्ति ॥ ७, सो तरुवरु गुरु-गणहर-समाणु फल-पत्त-वन्तु अक्खर-णिहाणु ॥ ८
॥ घत्ता ॥ पइसन्तेहिं असुर-विमद्दणेहिँ सिरु णावि राम-जणंदणेंहिँ । - परिअञ्चवि दुमु दसरह-सुऍहिँ अहिणन्दिउ मुणि व सं इं भु ऍहिँ ॥९
__14. 1 s आरुटु. 2 s थिरकर. 3 A ताम. 4 PS परिहर मलेवि मणुस इय, A मिल्लिवि. 5A पच्छामुहउं. 6 PS अच्छउ. 7 Ps णिविसउ, A अच्छिउ. ____15. 1 P S एव. 2 A कक्कार भणंति. 3 PS विहंगु. 4 P कलाव. 5A पियमाहविओ.6PS सयं.
[१४] १ गो-पशु-वृद्धाश्च (?): - [१५] १ पक्षिणाम्. २ काकः. ३ चवंति. ४ मयूराः, ५ कोकिलाः.
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