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________________ ३६ बृहत्कल्पसूत्र पंचम विभागनो विषयानुक्रम । गाथा विषय १५६३-६५ ५९२९ १५६३ १५६४ १५६४-६५ १५६५-६६ ५९३०-३४ ५९३५-३९ ५९४०-४३ १५६६-६७ ५९४४ पशु-पक्षिविषयक स्पर्शादिथी संभवता दोषो, प्रायश्चित्त आदि १५ एकाकिसूत्र निम्रन्थीओने एकला रहेQ कल्पे नहि एकाकि आदि सूत्रोनो पूर्वसूत्र साथे सम्बन्ध एकाकिसूत्रनी व्याख्या एकली निम्रन्थीने प्रायश्चित्त, दोषो अने अपवादो। १६ अचेल सूत्र अने तेनी व्याख्या निर्ग्रन्थीने नग्न रहेQ कल्पे नहि. नन निम्रन्थीने प्रायश्चित्त, दोषो, अपवाद आदि १७ अपात्र सूत्र अने तेनी व्याख्या निम्रन्थीने पात्ररहित रहेवू न कल्पे. निम्रन्थीने पात्र नहि राखवाथी लागता दोषो, तद्विषयक स्नुषानुं उदाहरण अने अपवाद १८ व्युत्सृष्टकाय सूत्र निम्रन्थीने काया वोसरावीने रहेQ कल्पे नहि १९ आतापना सूत्र निम्रन्थीने गाम, नगर आदिनी बहार आतापना लेवी कल्पे नहि _ आतापना सूत्रनी व्याख्या जघन्य मध्यम उत्कृष्ट आतापनानुं स्वरूप अने निर्ग्रन्थीने योग्य आतापनानो प्रकार अने तेने योग्य स्थान २०-३० स्थानायत, प्रतिमास्थित, निषद्या, उत्कटुकासन, वीरासन, दंडासन, लगंडशायि, अवाड्मुख, उत्तान, आम्रकुल अने एकपाश्वशायि सूत्र स्थानायतादि सूत्रोनी व्याख्या १५६७ ५९४५-५२ १५६७-७० १५६७ ५९४५-५२ १५६८-७० ५९५३-६४ १५७०-७३ १५७० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002514
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 05
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorChaturvijay, Punyavijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year2002
Total Pages340
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bruhatkalpa
File Size19 MB
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