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बृहत्कल्पसूत्र पंचम विभागनो विषयानुक्रम ।
३५
पत्र
गाथा ५८६२-६४
१५४६-४७
५८६५-६६
विषय प्राण, बीज, रज आदि पदोनी व्याख्या अने आगन्तुक, तदुद्भव प्राणादिनुं स्वरूप आहारविधिसूत्रनो अधिकार जे देशमां ओदन, सत्तु, दधि, पाणी वगेरे जीवादिथी संसक्त ज मळतां होय तेवा संसक्त देशमां जवानो विचार करवो, त्यां जवा माटे प्रयत्न करवो, ते देश तरफ प्रयाण करवू अने ते देशमां पहोंचबुं आदिने लगतां प्रायश्चित्तो अशिव, दुर्भिक्ष आदि कारणे संसक्त देशमा जर्बु आदि थाय तो जीवादिथी संसक्त ओदनादिने लेवानो अने तेनी प्रतिलेखना करवानो विधि, ते प्रमाणे न करवाथी लागता दोषो, अने ओदन आदिमां रहेला प्राण आदिना पारिष्ठापननो विधि जीवादिसंसक्त ओदनादिना ग्रहण आदिविषयक अपवाद अने यतनादि
१५४८
५८६८-८४
१५४८-५२
५८८५-९६
१५५२-५४
१५५५-६०
१५५५
१५५५
५८९७-५९१८ पानकविधिप्रकृत सूत्र १२ ५८९७ पानकविधिप्रकृतनो पूर्वसूत्र साथे संबंध
पानकविधिसूत्रनी व्याख्या ५८९८ दक, दकरज, दकस्पर्शित आदि पदोनी व्याख्या ५८९९-५९१८ पानकना-पाणीना ग्रहणनो विधि, तेने लगता
भांगाओ, तेना परिष्ठापननो विधि अने तद्विषयक अपवाद वगेरे
१५५५
१५५५-६०
ब्रह्मरक्षाप्रकृत सूत्र १३-३६ १३-१४ इंद्रियसूत्र अने श्रोतःसूत्र ब्रह्मरक्षाप्रकृतनो पूर्वसूत्र साथे संबंध
इंद्रियसूत्र अने श्रोतःसूत्रनी व्याख्या इंद्रियसूत्र अने श्रोतःसूत्रनी विस्तृत व्याख्या
१५६०-७८
१५६० १५६१ १५६१
५९१९
५९२०-२८
१५६१-६३
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