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________________ ३४ गाभा ५८०७ - १४ ५८१५-१६ ५८१७-२७ ५८२८ ५८२९-६० ५८२९ ५८३०-३२ ५८३३-४५ ५८४६-५५ ५८५६-६० ५८६१-९६ ५८६१ Jain Education International बृहत्कल्पसूत्र पंचम विभागनो विषयानुक्रम | विषय लताओ अने आठ अशुद्ध लताओ अने अशुद्ध लताओने अंगे काल, द्रव्य अने भावने आश्री प्रायश्चित्तनो विभाग संस्कृतनिर्विचिकित्ससूत्रगत संस्तृत आदि पदोनी व्याख्या ७ संस्तृतविचिकित्ससूत्रनी व्याख्या ८ असंस्तुतनिर्विचिकित्ससूत्रनी व्याख्या तपोअसंस्तृत, ग्लानासंस्तृत, अध्वासंस्तृत ए त्रण प्रकारना असंस्कृतनुं स्वरूप, प्रायश्चित्त आदि ९ असंस्कृतविचिकित्ससूत्रनी व्याख्या उद्गारप्रकृत सूत्र १० निर्मन्थ-निर्मन्थीओ वमन, गचरकुं वगैरे आव्या पछी थुंकी नाखे अने मोढुं साफ करी नाखे तो रात्रिभोजनदोष न लागे उद्गारप्रकृतनो पूर्वसूत्र साथै संबंध उद्गारसूत्रनी व्याख्या भिक्षु आचार्य आदिने आश्री उद्गारविषयक प्रायवित्त, दोषो अने अमात्य - बटुकनुं उदाहरण उद्गारनां कारणो अने तद्विषयक विविध पदोने आश्री प्रायश्चित्तो अने प्रायश्चित्तना प्रस्तारनी रचना उगारने लक्षी भोजन करवा विषयक विविध आदेशो, कवल्लीनुं दृष्टान्त अने शास्त्रकारने मान्य भोजननो आदेश उद्गार गिलनविषयक अपवाद अने ते विषे रत्नवणिगनुं दृष्टान्त आहारविधिप्रकृत सूत्र ११ आहारविधिप्रकृतनो पूर्वसूत्र साथै संबंध आहारविधिसूत्रनी व्याख्या For Private & Personal Use Only पत्र १५२६-३१ १५३१-३३ १५३३ १५३४-३७ १५३७ १५३७-४५ १५३८ १५३८ १५३८-३९ १५३९-४२ १५४२-४४ १५४४-४५ १५४६-५४ १५४६ १५४६ www.jainelibrary.org
SR No.002514
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 05
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorChaturvijay, Punyavijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year2002
Total Pages340
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bruhatkalpa
File Size19 MB
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