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________________ बृहत्कल्पसूत्र पंचम विभागनो विषयानुक्रम । ३१ विषय ५६१८-६४ ५६१८-३७ पत्र १४८७-९८ १४८७-९१ ५६१८ १४८७ १४८७ ५६१९-२१ १४८७-८८ ५६२२-३४ १४८८-९० महानदीप्रकृत सूत्र ३२-३३ ३२ महानदी सूत्र निम्रन्थ-निर्ग्रन्थीओने गंगा यमुना जेवी महानदीओ महिनामा एकथी वधारे वार उतरवी कल्पे नहि महानदीप्रकृतनो पूर्वसूत्र साथे संबंध ३२ महानदीसूत्रनी व्याख्या ३२ महानदीसूत्रगत इमाओ, उद्दिट्ठाओ, वंजिताओ, संतरित्तए, उत्तरित्तए आदि पदोनी व्याख्या महानदीओने नावथी संतरणने लगता अनुकंपा तेम ज प्रत्यनीकताविषयक विविध दोपोनुं वर्णन [गाथा .५६२५-अनुकंपाविपये मुरुंडराजनुं उदाहरण गाथा ५६२७-२८ प्रत्यनीकताविषये महावीरदेव अने सुदाढ-कंवल-शम्बलदेवोनुं उदाहरण ] महानदी. उत्तरणविषयक संघट्ट, लेप अने लेपोपरि ए त्रण प्रकारो अने तद्विषयक दोषो ३३ महानदीसूत्र ऐरावती जेवी छीछरी नदीओ महिनामां वे अगर त्रण वार उतरवी कल्पे ३३ महानदीसूत्रनी व्याख्या ३३ महानदीसूत्रमांनां विषम पदोनी व्याख्या नदी उतरवा माटेना संक्रम, स्थल अने नोस्थल ए त्रण प्रकारना मार्गो तेना प्रकारो, स्वरूप अने आ प्रकारो पैकी कया मार्गे जq तेने लगतो विभाग, भांगाओ वगैरे संक्रम, स्थल आदि मार्गोने लक्षीने नदी उतरवानो विधि, तेने लगती यतनाओ, दोषो, अपवाद आदि ५६३५-३५ १४९०-९१ १४९१-९८ ५६३८-६४ १४९१ १४९१-९२ ५६३८-३९ ५६४०-५२ १४९२-९५ १४९५-९८ ५६६५-८१ उपाश्रयविधिप्रकृत सूत्र ३४-३७ १४९८-१५०२ निम्रन्थ-निर्ग्रन्थीओने ऋतुबद्धकाळमां अने वर्षा ऋतुमा रहेवा लायक उपाश्रयोनुं वर्णन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002514
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 05
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorChaturvijay, Punyavijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year2002
Total Pages340
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bruhatkalpa
File Size19 MB
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