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________________ २४ बृहत्कल्पसूत्र तृतीय विभागनो विषयानुक्रम । गाथा विषय ___ गाथा २४१६-१९ पत्र ६८६-८७ ३ आतापनाद्वार पाणीना किनारे आतापना लेवाथी लागता दोषो दकतीरद्वार, यूपकद्वार अने आतापनाद्वारने लगतो अपवाद अने जयणाओ २४२०-२५ ६८७-८९ २४२६-३३ ६८९-९१ २४२६-२७ ६८९ ६९० २४२८ २४२९-३० २४३१ चित्रकर्मप्रकृत सूत्र २०-२१ निर्ग्रन्थ-निर्ग्रन्थीओने चित्रकर्मवाळा उपाश्रयमां रहेवू न कल्पे परंतु चित्रकर्म रहित उपाश्रयमां रहे, कल्पे चित्रकर्मप्रकृतनो पूर्वसूत्र साथे सम्बन्ध २०-२१ चित्रकर्मसूत्रनी व्याख्या चित्रकर्मसूत्रना व्याख्यानमाटे द्वारगाथा निर्दोष सदोष चित्रकर्मनुं स्वरूप आचार्य, उपाध्याय, वृषभ आदिने आश्री चित्रकर्मवाळा उपाश्रयमा रहेवाने लगतां प्रायश्चित्तो चित्रकर्मवाळा उपाश्रयमा रहेवाथी लागता विकथा, स्वाध्यायव्याघातादि दोषो अपवादपदे निर्ग्रन्थ-निर्ग्रन्थीओने चित्रकर्मवाळा उपाश्रयमा रहेQ पडे तेने लगती जयणाओ ६९० ६९० २४३२ ६९१ २४३३ ६९१ २४३४-४८ २४३४-४५ सागारिकनिश्राप्रकृत सूत्र २२-२४ ६९१-९५ २२-२३ सागारिकनिश्रासूत्र ६९१-९४ निर्ग्रन्थीओने शय्यातरनी-वसतिना स्वामिनी निश्रातेमनी संभाळ राखवानी कबूलात सिवाय कोई पण ठेकाणे रहेवं कल्पे नहि किन्तु शय्यातरनी निश्राए ज रहेQ कल्पे सागारिकनिश्रासूत्रनो पूर्वसूत्र साथे सम्बन्ध ६९१ २२-२३ सागारिकनिश्रासूत्रनी व्याख्या ६९३ सागारिकनिश्रासूत्रने आचार्य प्रवर्तिनीने न समजावे, २४३४ २४३५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002512
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 03
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorChaturvijay, Punyavijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year2002
Total Pages364
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bruhatkalpa
File Size19 MB
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