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॥ अर्हम् ॥
श्री आत्मानन्द- जैन-ग्रन्थरत्नमाला-रत्नम् ८४ निर्युक्ति-लघुभाष्य-वृत्त्युपेतं
बृहत् कल्पसूत्रम्
तृतीयो विभागः पीटिका 3
新
: प्रकाशक :
श्री आत्मानन्द जैन सभा खारगेट, भावनगर (सौ.)
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