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________________ ३२ बृहत्कल्पसूत्र द्वितीय विभागनो विषयानुक्रम । गाथा १८१७-२० पत्र ५३४-३५ १८२१-२९ ५३५-३७ १८३० ५३८ विषय १ द्विार पुरःकर्म एटले शुं ? २ कस्यद्वार पुरःकर्मदोष कोने लागे ?, क्यारे लागे ?, पुरःकर्मदोषविषयक अष्टभंगी, पुरःकर्म शामाटे करवामां आवे ?, पुरःकर्म कर्या पछी जे ज्यां जे रीते कल्पी शके तेनुं निरूपण, पुरःकर्म अने उदकादोपमा फरक ३ आरोपणाद्वार पुरःकर्म लेवाने लगतां प्रायश्चित्तो ४ परिहरणाद्वार पुर: लेवाना निषेधने लगता अविधिनिषेधो अमः तीषेधो Arujiरना अविधिनिषेधो | पुरःकर्म लेवाना निषेधने लगता सात प्रकारना शिष्योना सात अविधिनिषेधरूप आदेशो-प्रकारो पुरःकर्म लेवाने लगता आठ विधिनिषेधो [गाथा १८५६-पुरःकर्म विषे ब्रह्महत्यानुं लौकिक दृष्टान्त ] १८३१-६९ ५३८-४६ १८३१-४० ५३८-३९ १८४१-६९ ५४०-४६ ५४७-८२ १८७०-२०१३ ९ ग्लान्यद्वार १८७०-७३ ग्लान साधुना समाचार मळतां साधुओए ते ग्लान साधुनी खबर लेवा जदूं जोइए १८७४ ग्लानद्वारनी वक्तव्यताने लगती द्वारगाथा ५४७ १८७५-७६ ५४८ १ शुद्धद्वार ग्लान साधुनी खबर पडतां त्यां जई ते साधुनी सेवा करनार आदि छे के नहि तेनी तपास करवी. तपास नहि करनारने प्रायश्चित्त २ श्रद्धावानद्वार १८७७- ८२ ५४८-४९
SR No.002511
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 02
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorChaturvijay, Punyavijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year2002
Total Pages400
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bruhatkalpa
File Size21 MB
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