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________________ गाथा १८८३-८४ १८८५ १८८६-८७ १८८८-८९ १८९०-१९ १९००- २ :: १९००-६ १९०७ बृहत्कल्पसूत्र द्वितीय विभागनो विषयानुक्रम । विषय ग्लान साधुनी सेवा करवाथी महा निर्जरा थाय छे ए प्रकारनी श्रद्धाथी सेवा करवा आवनार माटे सेवाना प्रकारो ३ इच्छाकारद्वार ग्लान साधुनी सेवामाटे सामा साधुनी भलामण के विनंतीनी अपेक्षा राखनारने प्रायश्चित्तादि अने ते विषे महर्द्धिक राजानुं दृष्टान्त ४ अशक्तद्वार ग्लाननी सेवा करवामां अशक्ति जाहेर करनारने शिखामण ५ सुखितद्वार ग्लान साधुनी सेवा करवा जतां दुःख माननारने प्रायश्चित्तो ६ अवमानद्वार 'लाननी सेवा करवा जतां उगम आदि दोषो लागवानी वातने आगळ धरनारने प्रायश्चित्त ७ लुब्धद्वार ग्लान साधुनी सेवाने बहाने गृहस्थोने त्यांथी उत्कृष्ट पदार्थ, वस्त्र, पात्र आदि लावनारने तेमज क्षेत्रातिक्रान्त, कालातिक्रान्त आदि दोषो सेवनारने तथा ते लोभी साधुने निमित्ते थती ग्लान साधु तेमज ते क्षेत्रमां वसता गृहस्थोनी हेरानगतिने कारणे लागता दोपो अने प्रायश्चित्तो ८ ' अनुवर्त्तना ग्लानस्य' द्वार · १ ग्लानानुवर्त्तना ग्लान साधुमाटे पथ्यापथ्य केम लाववुं ? क्यांधी लावुं ? क्यां राखवं ? अने ते मेळववामाटे गवेषणा - शोध केंम करवी ? २ वैद्यानुवर्त्तना पत्र ३३ :: ५५० ५५१ ५५१ ५५१ ५५२-५४ ५५४-७५ ५५४-५६
SR No.002511
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 02
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorChaturvijay, Punyavijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year2002
Total Pages400
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bruhatkalpa
File Size21 MB
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