SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 34
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ बृहत्कल्पसूत्र द्वितीय विभागनो विपयानुक्रम । ३१ गाथा ५२८-३० विषय द्वार ९ प्रभावनाद्वार १० प्रवृत्तिद्वार ११ कार्यद्वार अने १२ उड्डाहद्वार चैत्यनी पूजा निमित्ते, राजा अने श्रावकना निमंत्र. णथी तेमनी श्रद्धामां वधारो करवामाटे, रथयात्राना उत्सवमां भंगाण पाडनार वादीना पराजयमाटे, तपर्नु अने ते द्वारा धर्मनुं माहात्म्य वधारवामाटे, धर्मकथा व्याख्यानादिद्वारा धर्मनी उन्नति करवामाटे, शंकित के भूलाइ गयेल सूत्रार्थने पूछवामाटे, गच्छने आधारभूत योग्य शिष्य आदिनी तपास करवामाटे, तीर्थनी प्रभावनामाटे, आचार्य-उपाध्याय आदि तेमज राज्यना उपद्रव आदिने लगता समाचार मेळववामाटे, कुल-गण-संघ आदिने लगतां कार्योमाटे तथा धर्मना उड्डाहनी र माटे साधुओए रथयात्राना समारोहभर्या-ठा का मेळामां अवश्य जq जोइये. . [गाथा १७९८ टीकामां-आठ प्रभावको] . रथयात्राना मेळामां यतनाओ चैत्यपूजा, राजा वगैरेनी विनंती आदि कारणोने लई रथयात्राना मेळामां जनार साधुओए उपाश्रय वगैरेनी पडिलेहणा केम करवी ? उपदेश क्या अने केवी रीते आपवो ? भिक्षाचर्या केम लेवी ? स्त्री नाटक वगेरेना दर्शन प्रसंगे केम वर्तवू ? मंदिर आदिमां करोळियानां जाळां, पंखीना माळा, भमरीनां घर वगेरे होय तेनी यतना केम करवी ? क्षुल्लक शिष्यो भ्रष्ट न थाय तेमाटे तेमज पार्श्वस्थ साधुओना जमीन आदिने लगता विवादो पताववा शुं करवू ? इत्यादिने लगती जयणाओ [गाथा १८१२-उरभ्रदृष्टान्त ] १८०२-१५ ५३१-३४ x x १८१६-६९ १८१६ ८ पुरस्कर्मद्वार पुरःकर्मनुं स्वरूप वर्णववामाटे द्वारगाथा ५३४-४६ ५३४
SR No.002511
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 02
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorChaturvijay, Punyavijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year2002
Total Pages400
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bruhatkalpa
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy