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________________ १८ गाथा पत्र १०५९-६७ बृहत्कल्पसूत्र द्वितीय विभागनो विषयानुक्रम । विषय निम्रन्थ-निर्ग्रन्थीओने विधिभिन्न अने अविधिभिन्न ताडप्रलंब जे प्रकारना देश काळमां जे रीते कल्पनीय अकल्पनीय छे, तेने अंगे जे जे गुण, दोष अने प्रायश्चित्तो छ ए आदिनुं विस्तृत वर्णन निर्ग्रन्थ-निर्ग्रन्थीओने दुकाल आदिना समयमा एक बीजाना अवगृहीत-अनुज्ञात क्षेत्रमा रहेवानो विधि, तेना १४४ भांगाओ अने तेने लगतां प्रायश्चित्तो ३३१-३४ १०६८-८५ ३३४-३६ ३४१-६१० ३४१-५८८ ३४१ ३४१ ३४२-४३ ३४३ ३४३-४८ १०८६-२११४ २ मासकल्पप्रकृत सूत्र-६-९ १०८६-२०३३ मासकल्पविषयक प्रथम सूत्र .१०८६-८७ प्रलंबप्रकृत साथे मासकल्पप्रकृतनो संबंध मासकल्पविषयक प्रथम सूत्रनो संक्षिप्त अर्थ मासकल्पविषयक प्रथम सूत्रनी विस्तृत व्याख्या ग्राम, नगर, खेड, कबंटक, मडम्ब, पत्तन, आकर, द्रोणमुख, निगम, राजधानी, आश्रम, निवेश, संबाध, घोष, अंशिका, पुटभेदन, शंकर आदि प्रथम सूत्रान्तर्गत पदोनी व्याख्या १०९४ ग्रामपदना निक्षेपो १०९५-११११ ग्रामपदनो द्रव्यनिक्षेप अने तेनी नयो द्वारा विचारणा [गाथा ११०३-८ उत्तानकमल्लक, अवाङ्मुखमलक, संपुटकमल्लक, उत्तानकखंडमल्लक, अवाङ्मुखखण्डमल्लक, सम्पुटकखण्डमल्लक, भित्ति, पडालि, वलभी, अक्षाटक, रुचक, काश्यपक आदि गामना प्रकारो अने तेनुं स्वरूप] १११२-१३ पू० भूतप्राम, आतोद्यप्राम, इन्द्रियग्राम, पितृग्राम अने मातृप्राम निक्षेपो १११३ उ०-१९ भावप्राम निक्षेप ११२० नगर, खेड, कर्बटक आदि पदोना निक्षेपोनी भलामण ११२१-२५ परिक्षेपपदना निक्षेपो ११२६-३० मासपदना निक्षेपो [११२८-३०-नक्षत्रमास, चंद्रमास, ऋतुमास, आदित्यमास अने अभिवर्धितमासतुं स्वरूप] ३४८-५० ३५०-५१
SR No.002511
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 02
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorChaturvijay, Punyavijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year2002
Total Pages400
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bruhatkalpa
File Size21 MB
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