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________________ बृहत्कल्पमत्र द्वितीय विभागनो विषयानुक्रम । १७ गाथा विषय पत्र ३१५-२५ ३१५ ३१५-१६ १००१-२ १००३-११ ३१६-१८ १०१२-१७ ३१८-२० ३२०-२१ १०१८-२२ १०२३-३३ प्रलम्बसूत्र २ जु निर्ग्रन्ध-निर्ग्राओमाट भागेला ताल-प्रलम्बने ग्रहण करवा विषयक अपवाद बीजा प्रलम्बसूत्रनी व्याख्या वीजा प्रलम्बसूत्रनुं आपवादिक सूत्र तरीके समर्थन दृष्टान्त द्वारा वीजा प्रलम्बसूत्रना आपवादिक समर्थन सामे शिष्यनो विरोध अने तेनो परिहार [गाथा १००५-विपोपभोगनुं दृष्टांत ] वीजा प्रलम्बसूत्रनुं आपवादिक सूत्र तरीके महत्त्व स्थापित करवा माटे चार मरुकनुं दृष्टान्त अने तेनो उपनय अध्यद्वार निम्रन्थ-निर्ग्रन्थीओमाटे देशान्तर गमननां कारणो अने तेनो विधि ग्लानद्वार रोग अने आतंकनो भेद ग्लानअवस्था-मांदगीमाटे विधि ग्लानमाटे यतनाओ [गाथा १०२८-आठ प्रकारना वैद्यो गा० १०३०-भंडी अने पोतनां उदाहरणो] त्रीजुं चोथु पांचमुं प्रलम्बसूत्र निर्ग्रन्थ-निर्ग्रन्थीओमादे पक्कताडप्रलंबग्रहण-निषेध विषयक सूत्रो 'पक्क' पदना निक्षेपो भिन्न अने अभिन्न पदनी व्याख्या, तद्विषयक षड्भङ्गी अने तेने लगतां प्रायश्चित्तो 'अभिन्न' पढ़ना सम्बन्धमा निर्ग्रन्थीने आश्री विस्तृत व्याख्या [गा० १०५१-देवीनु-राजराणीनुं दृष्टान्त ] अविधिभिन्न अने विधिभिन्न तालप्रलंब ३२१-२४ ३२१-२२ ३२२ ३२२-२४ १०२५-२६ १०२७-३३ १०३४-८५ ३२५-४० ३२५ १०३४-३५ १०३६-४४ ३२६-२७ १०४५-५४ ३२७-३० १०५५-५८ ३३०-३१
SR No.002511
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 02
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorChaturvijay, Punyavijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year2002
Total Pages400
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bruhatkalpa
File Size21 MB
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