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________________ २८ बृहत्कल्पसूत्रनी पीठिकानो विषयानुक्रम । गाथा पत्र विषय २८९ द्रव्यहीन अने द्रव्याधिकमां हानि दर्शावतुं अविरतिकार्नु एक बाईनुं उदाहरण २९०-९४ हीनाक्षर-अक्षरो पडी जाय तेम के अधिकाक्षर-नकामा अक्षरो वधारीने सूत्र बोलवामां प्रायश्चित्त अने तेथी हानि दर्शावतुं विद्याधर अने अभयकुमारनुं अने अशोक-कुणालसंप्रतिराजनुं उदाहरण अने ए ज आशयने मळतुं लोक प्रसिद्ध कामियसरोवरवासी वांदरानुं उदाहरण ८८-९० २९६ व्यत्यानेडित अने व्याविद्ध दोषनुं स्वरूप अने ए माटे अनु क्रमे पायस-खीरनुं अने आवलीनुं उदाहरण २९७ स्खलित, मिलित आदि दोषोनुं स्वरूप २९८ व्यत्यानेडितादि दोषोनुं प्रकारान्तरे स्वरूप २९९-३०१ हीनाक्षरादिदोषयुक्त सूत्र उच्चारवामां प्रायश्चित्तो ९१-९२ ३०२-८ संहिता, पद, पदार्थ आदि सूत्रव्याख्याना छ प्रकारो, तेनुं ___ स्वरूप अने ए व्याख्यानी सूत्र साथे घटना करवानी रीत ९२-९४ ३०९ सूत्र, पद, पदार्थ, पदनिक्षेप आदि सूत्रव्याख्याना रूपान्तरे पांच प्रकारो ९४ ३१०-१५ सूत्रपदनुं निरुक्त अने तेना संज्ञासूत्र आदि भेदो ९४-९५ ३१६ संज्ञासूत्रनुं वरूप ३१७ कारकसूत्रनुं खरूप ३१८ प्रकरणसूत्रनुं स्वरूप [ उत्सर्गसूत्र अपवादसूत्र उत्सर्गापवादसूत्र अपवादोत्सर्गसूत्रनुं खरूप] ३१९-२४ उत्सर्ग अने अपवादनो भावार्थ, उत्सर्गने लीधे अपवाद ! के अपवादने लीधे उत्सर्ग !, उत्सर्ग केटला ? अने अपवाद केटला ? उत्सर्ग श्रेयस्कर अने बलवान् ! के अपवाद ? ३२५ नाम, नैपातिक, उपसर्ग आदि पदोनुं स्वरूप ९८ ३२६-२७ सामासिक, ताद्धितिक, धातुकृत आदि पदार्थ- स्वरूप ९८-९९ ३२८-२९ निर्णयप्रसिद्धिनुं स्वरूप ३३०-३३ ११ तदर्हद्वार कल्प-व्यवहारना अनुयोगने लायक शिष्यो antar३३४८०५ १२ पर्षद्वार १०१-२५४ Jain Education International For Private Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002510
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 01
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorChaturvijay, Punyavijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year2002
Total Pages296
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bruhatkalpa
File Size18 MB
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