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________________ १२ लिखित प्रतिओनो परिचय | ३०० ऊपर सही ॥ यादृशं पुस्तके दृष्ट्वा तादृशं लिखितं मया । यदि शुद्धमशुद्धं वा मम दोषो न दीयते ॥ १ ॥ नगरमध्ये शास्त्र लिखितोयं ॥ श्री ॥ ॥" I आ उल्लेखमां ज्यां मींडां मूक्यां छे ते अक्षरोने प्रतिना उठाउगीर कोई शयताने भूसी नाख्या छे । आमां संवतना पाछळना बे आंकडाओ, लखावनार आदिनां नामो अने जे नगरमा प्रति लखाई तेनुं नाम आदि भूसी नाखवामां आव्युं छे । संवतना प्रारंभना आंकडाओ कायम राख्या छे ते जोतां प्रति सत्तरमी सदीमां लखायेली छे ए वात स्पष्ट छे । प्रति भाभाना पाडाना भंडारनी होवाथी अमे एनी भा० संज्ञा राखी छे । आ प्रति अमे भंडारना वहीवट कर्त्ता शेठ उत्तमचंद नागरदास द्वारा मेळवी छे । २ त० प्रति - आ प्रति पाटणना फोफलीयावाडानी आगली सेरीमा रहेल तपागच्छीय भंडारनी छे । आ प्रतिनां पानां २२१ छे, पानानी पुठीदीठ सत्तर सत्तर पंक्तिओ छे अने पंक्तिदीठ ७० थी ७५ अक्षरो छे । प्रतिनी लंबाई सवा तेर इंचनी छे अने पोळाई पांच इंचनी छे । प्रतिना अंतमां तेना लेखनसमय आदिने सूचवतो कशो य उल्लेख नथी, तेम छतां प्रत जोतां ते सोळमी सदीमां लखाई होय तेम लागे छे । प्रति तद्दन सारामां सारी स्थितिमां छे; मात्र तेनुं छेलं पानुं कोई खराब शाहीथी लखायेल प्रतिना संसर्गने ली जीर्ण जेवुं थई गयुं छे । प्रति तपागच्छीय भंडारनी होवाथी तेनी संज्ञा अमे त० राखी छे । आ प्रतिनो उपयोग अमे मुद्रित पुस्तकना ८९ मा पानाथी कर्यो छे । आ प्रति अमने भंडारना वहीवटदार शेठ मलुकचंद दोलाचंद द्वारा मळी छे । ३ डे० प्रति- - प्रति अमदावादमांना डेलाना भंडारनी छे । आ वीजी प्रतिओनी जेम प्रथमखंडरूप नथी पण आखा ग्रन्थनी सलंग लखायेल प्रति छे । तेनां ६०० पानां छे, पानानी पुठीदीठ पंदर पंदर पंक्तिओ छे अने पंक्तिदीठ ७५ थी ८० अक्षरो छे । प्रतिनी लंबाई १३ इंचनी छे अने पहोळाई ४ || इंचनी छे । प्रतिना अंतमां लेखन समयादिने लगतो कशो उल्लेख छे के नहि ए अमे अत्यारे कही शकता नथी; कारण के आ प्रति अमारा पासे अर्धी आवी छे । प्रति अनुमान सोळमी शताब्दीमां लखायेली होय तेम लागे छे अने सारामां सारी स्थितिमां विद्यमान छे । प्रति डेलाना भंडारी होवाथी अमे एने डे० नामधी ओळखावी छे । आ प्रति अमे भंडारना कारभारी शेठ भोगीलाल ताराचन्द पासेथी मेळवी छे । I ४ मो० प्रति — आ प्रति पाटणना सागरगच्छना उपाश्रयमां मूकेल शेठ मोंका मोदीना भंडारनी छे । एनां पानां २४२ छे, दरेक पानानी पुठीदीठ सत्तर सत्तर पंक्तिओ छे अने पंक्तिदीठ ६६ थी ७० अक्षरो छे । प्रतिनी लंबाई १३ ||| इंचनी अने पहोळाई ५ इंचनी छे । प्रतिना पहेला पानामां "आचार्य व्याख्यान करे छे अने तेने साधु साध्वी श्रावक श्राविकारूप चतुर्विध संघ सांभळे छे” ए भावने दर्शावतुं एक सुंदर चित्र छे । चित्रमां लाल लीला धोळा अने आसमानी रंगनो उपयोग करवामां For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.002510
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 01
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorChaturvijay, Punyavijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year2002
Total Pages296
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bruhatkalpa
File Size18 MB
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