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लिखित प्रतिओनो परिचय ।
प्रस्तुत बृहत्कल्पसूत्रना संशोधनमाटे एकठी करेल प्रतिओनो परिचय आपवा पहेलां अमे एना खण्डो-विभागो-ने अंगे टुंकमां कांइक निवेदन करीए छीए । प्रस्तुत सम्पूर्ण ग्रन्थनी कागळ उपर एक ज विभागमां लखायेल केटलीक प्रतिओ मळे छे, तेम छतां मोटे भागे पाटण खंभात लींचडी जेसलमेर आदिना भंडारोमांनी ताडपत्र उपर लखायेल प्रतिओ त्रण खंडमां अने कागळ उपर लखायेल प्रतिओ चार खंडमां लखायेल नजरे पडे छ । आ विभागो पोथी बांधवानी अने पुस्तक वाचवानी सुगमता खातर प्रतिना लखनार-लखावनाराओए पाडेला छे, भाष्य-चूर्णी-टीकाकारोए पाडेला नथी । जो के भाष्य चूर्णी विशेपचूर्णी टीका आदिमां पीठिका, प्रलम्बप्रकृत, मासकल्पप्रकृत आदि अनेक विभागो पाडवामां आव्या छे पण ते वधा य उपर जणाव्युं तेम पोथी बांधवानी सुगमता के ग्रन्थवाचननी अनुकूलता खातर नहि परन्तु ते ते अर्थाधिकार अथवा विपयनी समाप्तिने ध्यानमा राखीने पाडवामां आव्या छ । अमारा चालु सम्पादनमां अमे ते ते खण्डो साथे सम्बन्ध न राखतां मुद्रित ग्रन्थना कद अने अर्थाधिकारनी समाप्तिने लक्ष्यमा राखीने प्रस्तुत ग्रन्थना विभागो पाडी[; तेम छतां संशोधनमाटे एकठी करेल प्रतिओनो परिचय आपवानी सुगमता खातर तेम ज विद्वान शोधकोनी सुगमता खातर जे जे ठेकाणे ए खण्डो पूर्ण थशे त्यां अमे तेनो उल्लेख करवा चूकीशुं नहि ।
प्रतिओ प्रस्तुत ग्रन्थना संशोधनमाटे अमे जुदा जुदा गामोना भंडारोमांथी एना प्रथम खण्डनी वधी मळी एकंदर वार प्रतो मेळवी हती, परन्तु तेमांथी पसंद करीने अमे छ प्रतो ज कायम राखी छे अने वाकीनी प्रतोनो आ छ प्रतिओमा समावेश थई जतो होवार्थी एमने जती करवामां आवी छे। जे प्रतिओनो प्रस्तुत सम्पादनमा संशोधनमाटे उपयोग करवामां आव्यो छे तेमनो परिचय आ नीचे आपवामां आवे छे
१ भा० प्रति-आ प्रति पाटणना भाभाना पाडामांना विमळना भंडारनी छे । तेनां पानां ३०१ छे, दरेक पानानी पुठीदीठ सत्तर सत्तर पंक्तिओ छे अने पंक्तिदीठ ४८ थी ५० अक्षरो छ । प्रतिनी लंबाई साडा अगीआर इंचनी छे अने पहोळाई साडा चार इंचनी छ । प्रतिना अंतमां नीचे प्रमाणेनी लेखकनी पुष्पिका छे
___॥ इति श्रीकल्पाध्ययनटीकायां प्रथमखंडं संपूर्णमिति ॥छ ॥ शुभमस्तु ।। मांगल्यं शुभहेतवे ॥ सं० १६......वर्षे महाकार्तिके मासे शुक्लपक्षे त्रयोदशीदिने बृहस्पतिवारे
.............लिखितं.........ग्रंथागं. सहस्र १५००० ।।
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