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मुनि श्री न्यायविजय जी कानजी स्वामी आचार्य महाप्रज्ञ आचार्य श्री विजयरत्नसुन्दरसूरि जी महाराज श्रुतधर श्री प्रकाशमुनि जी महाराज
पं. दलसुख मालवणिया - डॉ. सागरमल जैन
- डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल > मुक्ति प्राप्ति में पंच समवाय की कारणता > व्यावहारिक जीवन में पंच समवाय > पंच कारण-समवाय में गौण प्रधान भाव > पंच कारणों की न्यूनाधिकता > पंच कारण परस्पर प्रतिबन्धक नहीं > पंच समवाय : अनेकान्तवादी दृष्टि का परिणाम > निष्कर्ष
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उपसंहार
६०५-६३८
सहायक ग्रन्थ सूची
६३९-६५६
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