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→ जैनदर्शन में पुरुष/पुरुषकार ( पुरुषार्थ ) की कारणता
• पुरुष या जीव कों का कर्ता एवं भाक्ता • पुरुष के साथ पुरुषकार की कारणता स्वयंसिद्ध • तप-संयम में किया गया पराक्रम ही पुरुषार्थ • स्वयं का पुरुषार्थ ही मोक्ष का साधक • पुरुषार्थ : संयम, तप, निर्जरा आदि का आधार
पुरुषार्थ की प्रमुखता के निदर्शन - तीर्थकर महावीर - गौतम आदि गणधर
अन्तगडसूत्र में ९९ आत्माओं द्वारा पुरुषार्थ शालिभद्र, धन्ना अणगार, स्कन्धक ऋषि, धर्मरुचि
अणगार आदि के उदाहरण » पंच समवाय में पाँच कारणों का समन्वय
प्राचीन श्वेताम्बर जैनाचार्यों का योगदान - सिद्धसेनसूरि
हरिभद्रसूरि शीलांकाचार्य अभयदेवसूरि
मल्लधारी राजशेखरसूरि - उपाध्याय यशोविजय - उपाध्याय विनयविजय
प्राचीन दिगम्बराचार्यों का योगदान • आधुनिक युग में पंच समवाय का प्रतिष्ठापन
- तिलोकऋषि जी महाराज - शतावधानी श्री रत्नचन्द्रजी महाराज - आचार्य विजयलक्ष्मीसूरीश्वर जी महाराज
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