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________________ ४८४ जैनदर्शन में कारण-कार्य व्यवस्था : एक समन्वयात्मक दृष्टिकोण अनुमान प्रमाण से ब्रह्मवाद की सिद्धि १९०६ पूर्वपक्ष- " यत्प्रतिभासते तत्प्रतिभासान्तः प्रविष्टमेव यथा प्रतिभासस्वरूपम्, प्रतिभासते चाशेषं चेतनाचेतनरूपं वस्तु इत्यनुमानादप्यात्माऽद्वैतप्रसिद्धिः जो प्रतिभासित होता है, वह प्रतिभास के अन्दर शामिल है, क्योंकि वह प्रतिभासित हो रहा है जैसा कि प्रतिभास का स्वरूप प्रतिभासित होता है, अतः वह प्रतिभास के भीतर शामिल है। इसी तरह चेतन-अचेतन सभी वस्तुएँ प्रतिभासित होती हैं, जिसके कारण वे सभी प्रतिभास के अन्दर प्रविष्ट हैं। इस अनुमान के द्वारा आत्माद्वैत ब्रह्माद्वैत सिद्ध होता है। प्रभाचन्द्र द्वारा निरसन यह अनुमान अयुक्त है । इस अनुमान में जो प्रतिभासमानत्व हेतु है, वह स्वतः प्रतिभासमानत्व है कि परतः ? स्वतः कहो तो वह हेतु प्रतिवादी की अपेक्षा असिद्ध होगा, क्योंकि वे पदार्थों को स्वतः प्रतिभासमान नहीं मानते हैं। परतः प्रतिभासमानत्व विरुद्ध होगा, क्योंकि अद्वैत में साध्य और हेतु द्वैत होने से द्वैत को ही सिद्ध करेगा । १०७ आगम- प्रमाण से ब्रह्मवाद की सिद्धि आगम भी प्रत्यक्ष और अनुमान की तरह ब्रह्म का प्रतिपादक है। इसके संबंध में कुछ आगम वाक्य इस प्रकार हैं (१) सर्व वै खल्विदं ब्रह्म नेह नानास्ति किंचन । आरामं तस्य पश्यन्ति न तं पश्यति कश्चन।। १०८ यह सारा विश्व ब्रह्मरूप है, कोई भिन्न-भिन्न वस्तु नहीं है, दुनिया के जीव उस ब्रह्म के विवर्तों को- पयार्यो को देखते हैं, किन्तु उसे कोई नहीं देख सकता। (२) यद्भूतं यच्च भाव्यं स एव हि सकललोकसर्गस्थितिप्रलय हेतुः । उक्तं च ऊर्णनाभ इवांशूनां चन्द्रकान्त इवाम्भसाम्। प्ररोहाणामिव प्लक्षः स हेतुः सर्वजन्मिनाम् ।। १०९ जगत् पुरुषमय है, जो हुआ अथवा होने वाला है, वह सब ब्रह्म ही है। वही सारे संसार की उत्पत्ति, स्थिति और विनाश का कारण है। जैसे रेशमी कीड़ा रेशम के धागे को बनाता है, चन्द्रकान्त मणि जैसे जल को झराता है और वटवृक्ष जैसे जटाओं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002509
Book TitleJain Darshan me Karan Karya Vyavastha Ek Samanvayatmak Drushtikon
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShweta Jain
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year2007
Total Pages718
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size11 MB
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