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________________ पूर्वकृत कर्मवाद ३५९ प्राक्कर्मेतराकारं दैवं नाम न विद्यते। प्राक्तनं पौरुषं तद्वै दैवशब्देन कथ्यते।। यथा यथा प्रयत्नः स्याद्भवेदाशु फलं तथा। इति पौरुषमेवास्ति दैवमस्तु तदेव च।। अर्थात् देश और काल के अनुसार विलम्ब से अथवा शीघ्र ही कृत पुरुषार्थ के फल की प्राप्ति का नाम 'दैव' है। फल देने वाले पुरुषार्थ द्वारा शुभाशुभ अर्थ-प्राप्ति रूप फल-सिद्धि का नाम ही दैव है। जो पुरुषार्थ द्वारा अवश्य ही प्राप्त होने वाली वस्तु है वह इस संसार में दैव कहलाती है। जो कर्म दृढता से और तीव्र प्रयत्न से पूर्वकाल में किया जा चुका है, वही इस समय 'दैव' नाम से पुकारा जाता है। पूर्वकृत कर्म के अतिरिक्त दैव और कोई वस्तु नहीं है; पूर्वकृत पुरुषार्थ का ही नाम दैव है। जैसा-जैसा प्रयत्न किया जाता है, वैसा-वैसा ही वह फल देता है। इसलिए पुरुषार्थ ही सत्य है, उसी को दैव कहा जा सकता है। योगवासिष्ठ में जहाँ एक ओर पूर्वकृत कर्म का निरूपण है, वहीं अन्यत्र उसका निरसन भी समुपलब्ध है दैवमेवेह चेत्कर्तृ पुंसः किमिव चेष्टया। स्नानदानासनोच्चारान्दैवमेव करिष्यति।।०२ यदि दैव से ही सब कुछ होता है तो पुरुष की चेष्टा का क्या प्रयोजन? उसके स्नान, दान, आसन, उच्चार आदि कार्य भी दैव से ही सम्पादित हो जायेंगे। 'दैव कुछ नहीं करता, यह कल्पना मात्र है। १०३ 'दैव सदा ही असत् है ०९, 'दैव (भाग्य) कुछ नहीं है १०५- इन सभी वाक्यों से दैव का अस्तित्व नहीं रहता। दैव मूर्ख लोगों की कल्पना है और जो इसके सहारे रहता है वह नाश को प्राप्त होता है। बुद्धिमान लोग पुरुषार्थ द्वारा उन्नति करके उत्तम पद को प्राप्त करते हैं। ०६ दैव की अपेक्षा पुरुषार्थ की प्रबलता है। वर्तमानकालिक पुरुषार्थ दैव से प्रबल होता है, इस बात का उल्लेख योगवासिष्ठ के कई श्लोकों में प्राप्त होता है द्वौ हुडाविव युध्येते पुरुषार्थों परस्परम्। य एव बालवांस्तत्र स एव जयति क्षणात्।। ह्यस्तनी दुष्क्रियाभ्येति शोभां सक्रिया यथा। अद्ययैव प्राक्तनी तस्माद्यनात्मकार्यवान्भव।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002509
Book TitleJain Darshan me Karan Karya Vyavastha Ek Samanvayatmak Drushtikon
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShweta Jain
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year2007
Total Pages718
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size11 MB
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