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नियतिवाद २८१ नियतिवाद में परलोक हेतु क्रिया व्यर्थ- सूत्रकार ने नियतिवाद के लिए "पासत्थ"१५५ शब्द का प्रयोग किया है। जिसका अभिप्राय समझाते हुए शीलांकाचार्य ने अपनी टीका में लिखा है- "युक्तिकदम्बकाद् बहिस्तिष्ठन्तीति पावस्थाः परलोकक्रिया-पाशवस्था वा, नियतिपक्षसमाश्रयणात्परलोकक्रिया-वैयर्थ्य' १५६ अर्थात् जो युक्ति समूह से बाहर रहता है, उसे "पार्श्वस्थ" कहते हैं। नियतिवादी परलोक की क्रिया से बाहर रहते हैं, क्योंकि नियति को ही सबका कर्ता मानने पर उनकी परलोक की क्रिया व्यर्थ ठहरती है।
पुरुषार्थ को व्यर्थ मानने वाले नियतिवादी विप्रतिपन्न- 'सब कुछ नियति से ही होता है' इस सिद्धान्त को मानने वाले नियतिवादी परलोक साधक क्रिया रूपी विरोधी क्रिया में प्रवृत्त होते हैं, जो कि अनुचित है।५० इस प्रकार नियतिवादी विप्रतिपन्न हैं। क्योंकि वे सद् अनुष्ठान रूप क्रिया एवं असद् अनुष्ठान रूप क्रिया के पुरुषार्थ को व्यर्थ मानते हैं और इस प्रकार विरूप काम-भोगों में संलग्न हो जाते हैं। इस नीति से वे अनार्य नियतिवादी विरूप नियति मार्ग को स्वीकार करने के कारण विप्रतिपन्न हैं। उनका अनार्यत्व इसलिए है, क्योंकि वे बिना युक्ति के ही नियतिवाद का आश्रय लेते हैं।१५८
नियति स्वत: नियत या अन्य नियति से नियन्त्रित- नियतिवादियों से प्रश्न है कि नियति स्वतः ही नियत स्वभाववाली है अथवा किसी अन्य नियति से नियन्त्रित या संचालित होती है? यदि नियति स्वतः ही नियति स्वभाव वाली है तो समस्त पदार्थों में नियति स्वभावता को क्यों नहीं स्वीकार कर लिया जाता। बहुत दोष वाली पृथक् नियति का समाश्रय करने से क्या लाभ ? यदि वह अन्य नियति से नियन्त्रित होती है तो फिर वह अन्य नियति भी किसी दूसरी नियति से संचालित होगी
और यह क्रम चलते रहने पर अनवस्था दोष का प्रसंग उपस्थित होगा। इस प्रकार नियति को स्वभाव से नियत स्वभाव वाली मानना होगा, नाना स्वभाव वाली नहीं। एक नियत स्वभाव वाली होने के कारण कार्य भी एक ही आकार-प्रकार का उत्पन्न होगा और ऐसा होने पर जगद्वैचित्र्य संभव न हो सकेगा। जबकि ऐसा न तो देखा जाता है और न इष्ट ही है। इस प्रकार युक्तियों से विचार करने पर नियति किसी भी प्रकार घटित नहीं होती है।५९
नियति अप्रमाणिक : पूर्वकृत कर्म का भी प्रभाव- नियतिवादियों द्वारा जो यह कहा गया है कि क्रियावादी एवं अक्रियावादी दोनों पुरुष समान होते हैं, वस्तुत: यह भी प्रतीति से बाधित होता है। क्योंकि इनमें से एक क्रिया को मानने वाला
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